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Roop Kanwar Sati Case: रूप कंवर सती कांड में 37 साल बाद फैसला, कोर्ट ने सभी 8 आरोपियों को किया बरी

Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : October 9, 2024, 6:19 pm IST
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Roop Kanwar Sati Case: रूप कंवर सती कांड में 37 साल बाद फैसला, कोर्ट ने सभी 8 आरोपियों को किया बरी

Roop Kanwar Sati Case: ररूप कंवर की तस्वीर.

India News RJ(इंडिया न्यूज), Roop Kanwar Sati Case: देश के बहुचर्चित रूप कंवर सती मामले में आज यानी बुधवार को 37 साल बाद कोर्ट का फैसला आया है। कोर्ट ने इस मामले में सभी 8 आरोपियों को बरी कर दिया है। करीब 37 साल तक चली सुनवाई के बाद जयपुर की सती निवारण की विशेष कोर्ट ने आरोपियों को बरी कर दिया है। इस सती मामले में कोर्ट ने आरोपी महेंद्र सिंह, श्रवण सिंह, जितेंद्र सिंह, निहाल सिंह, नारायण सिंह, उदय सिंह, दशरथ सिंह और भंवर सिंह को बरी कर दिया है।

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सती प्रथा को महिमामंडित करने का था आरोप

सती प्रथा निवारण के लिए विशेष न्यायालय जयपुर द्वितीय ने यह फैसला सुनाया। आरोपियों की ओर से अधिवक्ता अमनचैन सिंह शेखावत ने पैरवी की थी। इस मामले में न्यायालय ने महेंद्र सिंह, दशरथ सिंह, श्रवण सिंह समेत 8 आरोपियों को बरी कर दिया है। रूप कंवर की मौत को सती प्रथा बताकर महिमामंडित किया गया।

जानें पूरा मामला?

दरअसल, जयपुर निवासी 18 वर्षीय रूप कंवर की शादी सीकर जिले के दिवराला में माल सिंह शेखावत से हुई थी। शादी के 7 महीने बाद ही माल सिंह की बीमारी से मौत हो गई थी। तब कहा गया था कि पत्नी रूप कंवर ने पति की चिता पर सती होने की इच्छा जताई और 4 सितंबर 1987 को सती हो गई।

इसके बाद गांव के लोगों ने उन्हें सती मां का रूप दिया और एक मंदिर बनवाया। वहां एक बड़ा चुनरी महोत्सव भी आयोजित किया गया। बाद में जब देशभर में हंगामा हुआ तो जांच हुई। जांच में पाया गया कि रूप कंवर अपनी मर्जी से सती नहीं हुई थी। उस समय राजस्थान के मुख्यमंत्री हरदेव जोशी थे। उन्होंने हाईकोर्ट में 39 लोगों के खिलाफ केस दर्ज कराया था। इन सभी पर दिवराला गांव में एकत्र होकर सती प्रथा का महिमामंडन करने का आरोप था।

देश को हिलाकर रख दिया था ‘रूप कंवर सती कांड’

आपको बता दें कि राजस्थान में सती प्रथा थी। आजादी के बाद राज्य में सती की 29 घटनाएं हुईं, जिसमें रूप कंवर आखिरी सती थीं। रूप कंवर की घटना के बाद ही सती निवारण अधिनियम बनाया गया और सती मामलों के त्वरित निपटारे के लिए विशेष न्यायालय का गठन भी किया गया।

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