India News (इंडिया न्यूज),Ajmer Sharif Dargah Dispute: अजमेर शरीफ दरगाह में शिव मंदिर होने का दावा करने वाली याचिका पर कोर्ट द्वारा नोटिस जारी किए जाने के बाद बवाल मच गया है। यह याचिका दायर करने वाले हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दावा किया है कि दरगाह में शिव मंदिर था। उन्होंने यह दावा 1911 में लिखी गई एक किताब के आधार पर किया है।
यह याचिका विष्णु गुप्ता नामक याचिकाकर्ता ने अजमेर मुंसिफ कोर्ट में दायर की है, जिसे जज ने सुनवाई के लिए उपयुक्त माना है। बता दें, इस मुद्दे को उठाकर हिंदू सेना के अध्यक्ष विष्णु गुप्ता अचानक पूरे देश में चर्चा का विषय बन गए हैं। ऐसे में आइये जानते कौन विष्णु गुप्ता?
अजमेर विवाद खड़ा करने वाले विष्णु गुप्ता कौन?
मिली जानकारी के अनुसार, 10 अगस्त 1984 को उत्तर प्रदेश के एटा के सकीट में एक गरीब परिवार में जन्मे विष्णु गुप्ता छह साल की उम्र में आगे की पढ़ाई के लिए दिल्ली आ गए थे। 2011 में उन्होंने कुछ भरोसेमंद लोगों के साथ मिलकर हिंदू सेना की शुरुआत की। धुर दक्षिणपंथी गुप्ता वामपंथियों के सख्त खिलाफ रहे हैं। गुप्ता अपने कट्टरपंथी विचारों और धर्मनिरपेक्षता के प्रति असहिष्णुता के लिए जाने जाते हैं। वे विभिन्न मुद्दों पर विरोध प्रदर्शनों में सबसे आगे रहते हैं। 2011 में वामपंथियों के खिलाफ प्रदर्शन करने पर उन्हें हिरासत में लिया गया था। उन्होंने बलूचिस्तान की आजादी के लिए विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया, जिसके कारण भारत को बलूच समुदाय से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली।
राम जन्मभूमि आंदोलन में भी लिया भाग
विष्णु गुप्ता ने 1991 में उत्तर प्रदेश के अपने गांव में राम जन्मभूमि आंदोलन में भाग लिया था। गुप्ता ने अपना राजनीतिक जीवन शिवसेना दिल्ली राज्य युवा शाखा के उपाध्यक्ष के रूप में शुरू किया था। मुंबई में रहने वाले उत्तर भारतीयों पर हमलों के कारण उनका मानना था कि हिंदुओं को एकजुट होना चाहिए, चाहे वे मुंबई से हों या दिल्ली से या किसी अन्य भारतीय राज्य से। हिंदू सेना का दावा है कि इसकी इकाइयां दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, झारखंड, असम, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, जम्मू और कश्मीर और महाराष्ट्र राज्यों में सक्रिय हैं।
दरअसल, दिल्ली स्थित हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने वकील शशि रंजन सिंह के माध्यम से 25 सितंबर को अजमेर की मुंसिफ कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया है कि अजमेर शरीफ दरगाह को भगवान श्री संकटमोचन महादेव विराजमान मंदिर घोषित किया जाए। कोर्ट ने इस याचिका को सुनवाई के लिए उपयुक्त माना है। इसे लेकर जस्टिस मनमोहन चंदेल ने 27 नवंबर को सभी पक्षों को नोटिस जारी किए हैं। प्रतिवादियों में दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण शामिल हैं।
जानें क्या है मामला?
याचिका में दावा किया गया है कि दरगाह की जमीन पर पहले भगवान शिव का मंदिर था। वहां पूजा और जलाभिषेक होता रहा है। याचिका में दरगाह परिसर में जैन मंदिर होने का जिक्र है। साथ ही अजमेर निवासी हरविलास शारदा की 1911 में लिखी किताब का हवाला दिया गया है। वादी विष्णु गुप्ता ने यह भी कहा है कि 1991 का प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट यहां लागू नहीं होता, क्योंकि इससे पहले ख्वाजा गरीब नवाज की दरगाह में कभी किसी को इबादत करने की इजाजत नहीं थी।
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