1996 World Cup Sri Lanka Captain: न्यूज़ एजेंसी AFP के अनुसार, सोमवार को एक कोर्ट को बताया गया कि श्रीलंका के वर्ल्ड कप विजेता कप्तान अर्जुन राणातुंगा को पेट्रोलियम मंत्री के तौर पर अपने कार्यकाल से जुड़े भ्रष्टाचार के आरोपों में गिरफ्तार किया जाएगा. एक भ्रष्टाचार विरोधी संस्था ने खुलासा किया है कि राणातुंगा और उनके भाई पर लंबे समय के तेल खरीद कॉन्ट्रैक्ट देने की प्रक्रिया बदलने और ज़्यादा कीमत पर स्पॉट खरीदारी करने का आरोप है.
रिश्वत या भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच करने वाले आयोग के अनुसार, 27 खरीद से राज्य को कुल नुकसान लगभग 800 मिलियन श्रीलंकाई रुपये (लगभग 23.5 करोड़ रुपये) होने का अनुमान है. यह बताना ज़रूरी है कि ये डील 2017 में हुई थीं.
विदेश में हैं राणातुंगा, लौटते ही होगी गिरफ्तारी
आयोग ने पहले ही कोलंबो मजिस्ट्रेट, असंगा बोडारागामा को सूचित कर दिया है कि अर्जुन विदेश में हैं और इसलिए देश लौटने पर उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा. राणातुंगा के बड़े भाई धम्मिका, जो उस समय सरकारी स्वामित्व वाली सीलोन पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के चेयरमैन थे, को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है. उन्हें सोमवार को जेल भेजा गया था; हालांकि, बाद में उन्हें ज़मानत पर रिहा कर दिया गया.
मजिस्ट्रेट ने धम्मिका पर यात्रा प्रतिबंध लगा दिया है. अर्जुन राणातुंगा के भाई श्रीलंका और संयुक्त राज्य अमेरिका के दोहरी नागरिकता वाले हैं. न्यूज़ एजेंसी AFP के मुताबिक, अगली सुनवाई 13 मार्च, 2026 को तय की गई है.
नई सरकार की कार्रवाई
राणातुंगा और उनके भाई के खिलाफ मामला मौजूदा सरकार की कार्रवाई का हिस्सा है, जो 2024 में सत्ता में आई थी. राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके की सरकार ने सत्ता में आने पर भ्रष्टाचार को खत्म करने का वादा किया था.
इससे पहले, राणातुंगा के भाई, प्रसन्ना, जो पूर्व पर्यटन मंत्री थे, को भी एक बीमा धोखाधड़ी मामले में गिरफ्तार किया गया था. मामला अभी लंबित है, लेकिन उन्हें जून 2022 में एक बिजनेसमैन से पैसे वसूलने के आरोप में पहले दोषी ठहराया गया था.
राणातुंगा की कहानी
62 साल के राणातुंगा अपने समय में एक बहुत लोकप्रिय बाएं हाथ के बल्लेबाज थे, और उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि 1996 में श्रीलंका को वर्ल्ड कप जिताना था, जब आइलैंडर्स ने फाइनल मुकाबले में ऑस्ट्रेलिया को हराया था. राणातुंगा ने कुल 93 टेस्ट और 269 वनडे खेले, जिसमें उन्होंने दोनों फॉर्मेट में 10,000 से ज़्यादा रन बनाए. उनकी कप्तानी में श्रीलंका ने पहली बार इंग्लैंड में टेस्ट सीरीज़ भी जीती.
जून 2000 में, उन्होंने श्रीलंका के 100वें टेस्ट मैच में खेला, और अपने देश के पहले और 100वें दोनों टेस्ट मैचों में खेलने वाले एकमात्र खिलाड़ी बन गए. उन्होंने आखिरकार 2001 में अपने टेस्ट करियर को अलविदा कह दिया.