Guwahati Cricket History: साल 2000 में भारत दक्षिण अफ्रीका से अपने घर में लगातार दो टेस्ट हार गया था. पहला टर्नर पिच पर था, दूसरा एकदम अच्छी बैटिंग पिच पर, जहां साउथ अफ्रीका ने 479 रन बनाए थे. यहां गुवाहाटी के बरसापारा स्टेडियम में तीसरे दिन स्टंप्स तक, संकेत हैं कि इतिहास खुद को दोहराएगा. 25 साल पहले भारतीय टीम, जो सचिन तेंदुलकर के कैप्टनशिप छोड़ने के साथ बदलाव के दौर से गुज़र रही थी, एक बार भी 250 का आंकड़ा पार नहीं कर पाई थी. ऐसा फिर से हो सकता है, क्योंकि मेज़बान टीम अब तक तीन इनिंग्स में 189, 93 और 201 रन ही बना पाई है.
उस वक़्त, भारत को अभी भी पक्का नहीं था कि उनका अगला कैप्टन कौन होगा. 25 साल बाद, समस्या उनके कोच गौतम गंभीर और वह टेस्ट क्रिकेट में अपनी टीम को कैसे चलाना चाहते हैं, के इर्द-गिर्द है. लेकिन सोमवार की हार पर कोई भी चर्चा ऋषभ पंत की बैटिंग में बच्चे जैसी लापरवाही के बिना शुरू नहीं हो सकती. कप्तान के तौर पर अपने पहले टेस्ट में, मार्को जेनसेन की आठवीं गेंद पर उनके बहुत ही गलत तरीके से किए गए चार्ज ने भारत के वापसी के मौकों को मिटटी में मिला दिया.
टीम कॉम्बिनेशन में अजीबोगरीब बदलाव
हालांकि सोमवार को पंत का आउट होना बिना किसी शक के सबसे चौंकाने वाला था, लेकिन मैनेजमेंट की तरफ़ से गैर-ज़रूरी बदलाव टीम को परेशान करते रहे हैं. वाशिंगटन, जो ईडन गार्डन्स की मुश्किल पिच पर नंबर 3 पर एकदम फिट लग रहे थे, उन्हें नंबर 8 पर भेज दिया गया, जहां उन्होंने सब्र से 48 रन बनाए, जो एक टॉप-ऑर्डर खिलाड़ी के लायक पारी थी.
कोई हैरानी नहीं कि दिन का खेल खत्म होने पर यह सवाल आया – ‘क्या आप हाल ही में जिन अलग-अलग पोज़िशन पर बैटिंग कर रहे हैं, उनके बजाय एक परमानेंट टॉप-ऑर्डर बैटिंग स्लॉट पसंद करते हैं?’ वॉशिंगटन ने सवाल टाल दिया – ‘टीम मुझे जहां भी खिलाना चाहेगी, मैं वहीं खेलूंगा. आजकल यह कुछ-कुछ फुटबॉल जैसा है, एक खिलाड़ी 25 या 30 मिनट खेलकर भी असरदार हो सकता है.’
नंबर 3 पर गड़बड़ी
सुंदर की जगह नंबर 3 पर आए साई सुदर्शन, कुछ समय से उस पोजीशन पर संघर्ष कर रहे हैं. उन्होंने जो 9 टेस्ट इनिंग खेली हैं, उनमें साई का औसत 30.33 है और ऑन-साइड पर अपने शॉट्स को कम नहीं रख पाने की वजह से वे बार-बार आउट हुए हैं. सोमवार को भी लगभग यही हुआ और इससे साउथ अफ्रीका को मौका मिल गया.
गंभीर सरफराज खान को पूरी तरह भूल गए हैं, जिन्होंने पिछले साल बेंगलुरु में न्यूजीलैंड के खिलाफ एक शानदार सेंचुरी बनाई थी, लेकिन इसके बाद चार इनिंग में फेल हो गए, जहां बाकी सभी ने संघर्ष किया. लेफ्ट-हैंडर देवदत्त पडिक्कल कुछ समय से टीम के साथ ट्रैवल कर रहे हैं, लेकिन पिछले साल पर्थ टेस्ट के बाद से उन्हें मौका नहीं मिला है – शायद नेट्स पर वह जो ऑफ-स्पिन करते हैं, वह अभी भी ठीक नहीं है. कोच गंभीर मल्टीस्किल्ड प्लेयर्स में विश्वास करते हैं जो थ्योरी में तो ठीक है, लेकिन जब रिज़ल्ट नहीं आते, तो सवाल पूछा जाना चाहिए – स्पेशलिस्ट्स को इतनी नापसंदगी क्यों?
अनिल कुंबले का बयान
शुभमन गिल की गैरमौजूदगी में, ध्रुव जुरेल को नंबर 4 पर खिलाया गया, जबकि अगले चार (ऋषभ पंत सहित) ऑलराउंडर हैं. भारतीय स्पिन लेजेंड अनिल कुंबले के अनुसार, उन सभी में ट्रैक की आदत डालने और फिर नुकसान करने का टेम्परामेंट नहीं दिखा. ऑफिशियल ब्रॉडकास्टर्स के लिए कमेंट्री के दौरान कुंबले ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इस तरह की पिच पर वह एप्लीकेशन ज़रूरी है. और स्पेशलिस्ट्स को इस्तेमाल करने में हिचकिचाहट भी हैरान करने वाली है.
नीतीश रेड्डी को ऑलराउंडर का टैग दिया गया है, लेकिन उन्होंने पहली इनिंग में 151 में से सिर्फ़ 6 ओवर ही बॉलिंग की. फिर वह नंबर 7 पर बैटिंग करने आए और मार्को जेनसेन की शॉर्ट बॉल को हैंडल नहीं कर पाए.
टीम के बैटिंग कोच सीतांशु कोटक ने इस हार के लिए ईडन पिच को ज़िम्मेदार ठहराया था. लेकिन बरसापारा में पहली पारी में खराब प्रदर्शन के बाद वाशिंगटन की बात भारत के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसी हो सकती है. वाशिंगटन की बातों ने सोमवार को भारत के खराब प्रदर्शन पर रोशनी डालते हुए कहा कि यह एक सच्चा विकेट था. आपको हर दिन ऐसे ट्रैक पर बैटिंग करने का मौका नहीं मिलेगा, खासकर भारत में. अगर आप वहां समय बिताते हैं, तो रन बनाने के मौके मिलते हैं.