इंडिया नई, नई दिल्ली:
साउथ अफ्रीका (South Africa) के खिलाफ दूसरे टी-20 में भारत (India) को जितने रन बनाने चाहिए थे, उतने वह नहीं बना पाई, जो भारतीय टीम की हार का बड़ा कारण बनी। कम से कम 20 से 25 रन और बनने चाहिए थे। टीम इंडिया को उस मैदान पर पहले बल्लेबाजी करनी पड़ी थी।
जहां बल्लेबाज़ी करने के लिए विकेट काफी कठिन और ट्रिकी था। मिडिल आर्डर इस बार ज़्यादा रन नहीं बना पाया लेकिन अंत में दिनेश कार्तिक ने कुछ अच्छे शॅाट्स लगाए जिसकी बदौलत टीम इंडिया 148 के स्कोर तक पहुंच पाई। एक समय ऐसा लग रहा था कि दक्षिण अफ्रीका के लिए 148 रनों का पीछा करना मुश्किल होगा।
क्योंकि भुवनेश्वर कुमार ने अपने पहले ही स्पेल में 3 विकेट चटका लिए थे और उन्हें 10 ओवर के बाद जीत के लिए दस रन प्रति ओवर बनाने की ज़रूरत थी और अंत के जो 10 ओवर रहे वह तो दक्षिण अफ्रीका के ही नाम रहे जिसमें हेनरिक क्लासेन और कप्तान बावूमा ने शानदार पार्टनरशिप की और
अंत में डेविड मिलर ने अच्छे से मैच को खत्म कर दिया। भुवनेश्वर कुमार को दूसरे गेंदबाज़ो के छोर से बिल्कुल भी साथ नहीं मिल पाया और भारतीय टीम के दो सबसे महत्वपूर्ण स्पिनर, अक्षर पटेल और युज़वेंद्र चहल इस बार फिर बहुत महंगे साबित हुए।
कटक के मैदान का जिस तरह का विकेट था, वहां बल्लेबाज़ी करना बिलकुल भी आसान नहीं था। लेकिन हेनरिक क्लासेन ने सूझबूझ के साथ पारी की शुरुआत की। पहली 10 गेंदों में उन्होंने 3-4 रन ही बनाए थे फिर उसके बाद जब उनको विकेट समझने में आने लगा तभी उन्होंने सभी गेंदबाजों के खिलाफ अच्छे से प्रहार किया।
चाहे वह अक्षर पटेल हों, हार्दिक पांड्या हो या फिर युज़वेंद्र चहल ही क्यों ना हो। देखते ही देखते वह इस फॉर्मेट का अपना सबसे बड़ा स्कोर बनाने में सफल रहे। हैरानी की बात तो यह है कि अंत में 10 गेंद बची हुई थी लेकिन दक्षिण अफ्रीका ने उससे पहले ही शानदार जीत हासिल कर ली जो यह दर्शाता है कि क्लासेन की पारी का इस जीत में कितना महत्व था।
दिल्ली का विकेट सपाट था और वहां बल्लेबाजी करना आसान था और इसी वजह से टीम इंडिया (India) ने वहां शानदार बल्लेबाजी की थी लेकिन कटक के बाराबती स्टेडियम में गेंद थोड़ी फंस के आ रही थी और वहां खुलकर बल्लेबाजी करना उतना आसान नहीं था।
यह टीमों के लिए बहुत ही असमंजस की स्थिति होती है कि उन्हें किस तरह की बल्लेबाज़ी करनी है क्योंकि उन्होंने विकेट की प्रवृति के बारे में ज़्यादा पता नहीं होता। न ही वे लक्ष्य का सही अनुमान लगा पाते हैं लेकिन मुझे यह लगता है कि जब किसी को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेलने का मौका मिलता है
तो उसे इसी तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और प्लानिंग भी अच्छी करनी पड़ती है। ऋषभ पंत ने अपने आपको फिर से चौथे नंबर पर प्रमोट किया जहां वह नहीं चल पाए लेकिन मेरे ख्याल से वह नम्बर पांच पर ही बल्लेबाज़ी करें। इसी तरह के कुछ परिवर्तन इंडियन टीम के कोच राहुल द्रविड़ और कप्तान ऋषभ पंत को करने होंगे।
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