भारतीय गेंदबाज़ों ने दक्षिण अफ्रीका (South Africa) के खिलाफ पहले वनडे में पॉवरप्ले में काफ़ी अच्छा प्रदर्शन करते हुए कप्तान बावुमा और प्रीटोरियस के विकेट चटकाए। फिर आठवें ओवर में अक्षर पटेल ने क्विंटन डि कॉक का विकेट हासिल किया। लेकिन इसके बाद वान डर डूसेन और मिलर के बीच जो शानदार साझेदारी बनी।
उससे दक्षिण अफ्रीका ने यह मुकबला अपने नाम कर लिया और उसका बहुत बड़ा कारण यह रहा कि जिस तरह की गेंदबाज़ी भारतीय गेंदबाजों ने अंतिम चार-पांच ओवर में की, वह कई सवाल खड़े करती है। इस दौरान भारतीय गेंदबाज़ों ने लेंथ और स्लोवर डिलीवरी डालने का प्रयास किया।
जबकि ऐसे समय में यॉर्कर डालने की ही ज़्यादा से ज़्यादा कोशिश की जानी चाहिए थी। आवेश खान ने एक ओवर में सिर्फ सात रन दिए थे और 5 गेंदें यॉर्कर डाली थीं। बाकी गेंदबाज़ों को भी यह बात समझ लेनी चाहिए थी कि उसी लेंथ पर गेंद डालने से ही सफलता मिल सकती थी।
अगर भारतीय गेंदबाजों ने दक्षिण अफ्रीका के बल्लेबाजों को रोकना था तो स्लोवर गेंदों पर से अपना ध्यान हटाना बेहतर विकल्प होता क्योंकि अच्छी बात यह भी थी कि दिल्ली में मैदान पर ओस भी नहीं थी।
दक्षिण अफ्रीका के दो पॉवर-हिटर बल्लेबाजों के सामने गेंदबाजी करना काफी मुश्किल हो गया था और खासकर तब जबकि ये दोनों क्रीज़ पर पूरी तरह से जम चुके थे। मिलर को सभी आईपीएल में देख चुके हैं। जिस तरह की उन्होंने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी की थी और वहीं वान डर डूसेन का रिकॉर्ड भी विश्व कप में काफी अच्छा रहा है।
हालांकि आईपीएल में उन्हें ज्यादा खेलने का मौका नहीं मिला इसलिए गेंदबाज़ उनकी बल्लेबाजी को नहीं परख पाए और इस मैच में शुरुआती 30 रन उन्होंने करीब-करीब रन-ए-बॉल के अंदाज़ में बनाए थे लेकिन उसके बाद एक कैच छूटने का फायदा उठाते हुए उन्होंने अपनी बल्लेबाज़ी को चौथे गेर पर पहुंचा दिया।
वहीं यह भी मानना होगा कि भारतीय गेंदबाजों से भी काफी ग़लतियां हुईं क्योंकि जहां उन्हें गेंद डालनी चाहिए थी, वहां वह गेंद को पिच नहीं करा पाए।
दिल्ली का ग्राउंड पर रनों का पीछा करके मैच जीते गए हैं। यहां आईपीएल मैच के बड़े बड़े स्कोर चेज़ हुए हैं और उसके अलावा मुझे लगता है कि भारतीय टीम के पास एक विकेट-चटकाने वाला गेंदबाज मौजूद था जो अच्छी फॉर्म में भी था और लेग स्पिन डालता है।
मैं बात युजवेंद्र चहल की कर रहा हूं। उनसे बीच के ओवरों में गेंदबाजी करानी चाहिए थी। जिस तरह सामने दो पावर हिटर बल्लेबाज़ी कर रहे थे, वहां अटैकिंग बॉलिंग की जरूरत थी और चहल के पास काफ़ी अनुभव और विविधता है। उनसे पहला ओवर पावरप्ले में डलवाया गया था और बीच के ओवरों में भी उनसे एक ही ओवर डलवाया गया,
जो मेरी समझ से परे है। मेरे हिसाब से चहल से बीच के ओवरों में कुछ ओवर और डलवा सकते थे क्योंकि उस समय दोनों बल्लेबाज़ हर ओवर में 15 से 20 रन बनाने का प्रयास कर रहे थे। वहां पर अगर टीम इंडिया को एक विकेट मिल जाता तो वह काफ़ी मुश्किल हल हो सकती थी।
वहीं, भारतीय बल्लेबाजों ने मजबूत गेंदबाजी आक्रमण के सामने शानदार बल्लेबाजी की। जिस मानसिकता और इंटेंसिटी के साथ बल्लेबाजी करनी चाहिए थी वह नज़र आई। दोनों युवा सलामी बल्लेबाजों ने शानदार शुरुआत दी और पावरप्ले का काफी अच्छा इस्तेमाल किया और 57 रनों की साझेदारी की जो बहुत महत्वपूर्ण थी।
उसके बाद श्रेयस अय्यर, ऋषभ पंत, और हार्दिक पांड्या ने अपनी पारी को बहुत अच्छा फिनिश किया और मुझे लगता है कि आने वाले समय में भी अगर भारतीय टीम इसी अप्रोच के साथ मैदान में उतरती है तो मैच जीतने के अवसर काफ़ी बढ़ जाएंगे लेकिन गेंदबाजी में अभी भी काफी कुछ सीखने की ज़रूरत है।
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