Live
Search
Home > क्रिकेट > कभी प्लास्टिक के बल्ले से खेला क्रिकेट… आज गेंद से मचाती हैं धमाल, ऐसा रहा श्री चरणी के कामयाबी का सफर

कभी प्लास्टिक के बल्ले से खेला क्रिकेट… आज गेंद से मचाती हैं धमाल, ऐसा रहा श्री चरणी के कामयाबी का सफर

Sree Charani Success Story: भारतीय महिला टीम की स्टार स्पिनर श्री चरणी का इंटरनेशनल क्रिकेट तक का सफर काफी मुश्किल रहा है. बचपन में वह अपने चाचा के साथ प्लास्टिक के बल्ले से क्रिकेट खेलती थी. आज वह भारतीय टीम का अहम हिस्सा बन गई हैं. पढ़ें उनके सफर की कहानी...

Written By: Ankush Upadhyay
Last Updated: December 31, 2025 12:36:05 IST

Sree Charani Success Story: भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने इस साल पहली बार वर्ल्ड कप का खिताब हासिल किया. भारत की इस ऐतिहासिक जीत में बाएं हाथ की स्पिनर श्री चरणी का अहम रोल रहा. उन्होंने वर्ल्ड कप 2025 में 9 मैचों में 14 विकेट लेकर अपनी भूमिका निभाई. 21 वर्षीय श्री चरणी का वर्ल्ड कप तक का सफर आसान नहीं रहा. यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने कई बड़ी चुनौतियों का सामना किया. वर्ल्ड कप 2025 में भारतीय महिला टीम शुरुआत में लगातार 3 मैच हार गई थी, जिसके बाद हर कोई निराश था. श्री चरणी के पिता ने तनाव में उनसे पूछा, तुम सारे मैच हार रही हो, तो वर्ल्ड कप कैसे जीतोगी, लेकिन श्री चरणी ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा कि, ‘हम हर हाल में जीतेंगे, बस देखते रहो.’

श्री चरणी की यह भविष्यवाणी आगे चलकर सही साबित हुई. भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप के फाइनल में साउथ अफ्रीका को हराकर पहली बार ट्रॉफी अपने नाम कर ली. इस जीत में अहम भूमिका निभाने वाली गेंदबाज श्री चरणी आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले के एक छोटे से गांव से आती हैं, जहां पर क्रिकेट से किसी का कोई नाता नहीं रहा. इसके बावजूद गांव से निकलकर भारत के लिए वर्ल्ड कप खेलना श्री चरणी के जीवन की प्रेरणादायक कहानी है.

वर्ल्ड कप के मंच पर दिखाया साहस

सिर्फ 21 साल की उम्र में श्री चरणी ने अपना इंटरनेशनल डेब्यू किया. इसके बाद उसी साल वह वर्ल्ड कप के बड़े मुकाबलों में भी खेलीं. बाएं हाथ की स्पिनर श्री चरणी ने वर्ल्ड कप में अपना सूझबूझ और समझदारी से गेंदबाजी की और अपना रोल अदा किया. इस दौरान उनके अंदर अटूट आत्मविश्वास और प्रतिभा दिखाई दिया. उनके परिवार वाले बताते हैं कि श्री चरणी की गेंदबाजी देखकर वे सब घबरा जाते हैं, लेकिन श्री चरणी को खुद पर पूरा भरोसा था. वह घंटों तक नेट में प्रैक्टिस करती थी. अगर उनके खेल में कोई कमी रह जाती थी, तो वह सिर्फ प्रैक्टिस पर ध्यान देती थी, जब तक की वह उसमें पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो जाती.

सामान्य परिवार से आती हैं श्री चरणी

श्री चरणी के पिता चंद्रशेखर रेड्डी रायलसीमा थर्मल पावर स्टेशन में काम करते हैं और कंपनी के साधारण से क्वार्टर में रहते थे. एक बार उनके पिता प्लास्टिक का बैट लेकर आए थे. इसके बाद जब भी श्री चरणी के चाचा किशोर रेड्डी अपनी भतीजियों से मिलने जाते, तो चरणी की बहन वैष्णवी भी क्रिकेट खेलती थी. श्री चरणी के मामा भी उनके साथ क्रिकेट खेलते थे. इसके अलावा कभी-कभी वे चरणी को क्वार्टर के मैदान में भी ले जाते थे, जहां पर ज्यादा उम्र के खिलाड़ियों के बीच चरणी को खेलने का मौका मिलता था. किशोर रेड्डी ने श्री चरणी को क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया और ट्रेनिंग भी दी.

पिता चाहते थे बैडमिंटन खिलाड़ी बने

श्री चरणी के पिता चाहते थे कि वे एक बैडमिंटन खिलाड़ी बनें. उनका मानना था कि एथलेटिक्स में आप अकेले होते हैं और सब कुछ आपके प्रदर्शन पर निर्भर करता है. वहीं, क्रिकेट में 11 खिलाड़ी होते हैं, जिससे उनके बीच एकरूपता स्थापित करना मुश्किल हो जाता है. इसके चलते श्री चरणी ने क्रिकेट से पहले स्कूल में बैडमिंटन खेला, खो-खो खेला और फिर मध्यम-लंबी दूरी की दौड़ में भी भाग लिया. उन्होंने स्टेट लेवल प्रतियोगिताओं में खो-खो में शानदार प्रदर्शन किया. इसके अलावा दौड़ में लड़कों को कड़ी टक्कर देती थी. हालांकि श्री चरणी को क्रिकेट खेलना पसंद था. उनके पिता बताते हैं कि एक बार एसएआई के प्रमुख एन रमेश ने श्रीचरणी से पूछा कि उन्हें कौन सा खेल पसंद है, तो श्री चरणी ने जवाब दिया, क्रिकेट.

कैसे हुई क्रिकेट करियर की शुरुआत?

श्री चरणी ने अपने खेल से पूर्व क्रिकेटर और राष्ट्रीय चयनकर्ता एमएसके प्रसाद का भी ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने श्री चरणी को क्रिकेट खेलने की सलाह दी. इसके बाद श्री चरणी पूर्व रणजी क्रिकेटर मर्रीपुरी सुरेश के पास गईं, जो उस समय वहां कोच थे. यहीं से चरणी ने अपने प्रोफेशनल करियर की शुरुआत की. श्री चरणी को परिवार से सपोर्ट मिला और उनके चाचा ने भी काफी ट्रेनिंग दी. इसके चलते भारत की अंडर-19 टीम में जगह मिली. 20 साल की उम्र में श्री चरणी ने कई सालों आंध्रा के मुख्य कोच श्रीनिवास रेड्डी के मार्गदर्शन में अपनी गेंदबाजी कला को निखारा. फिर WPL के ऑक्शन में दिल्ली कैपिटल्स की टीम ने उन्हें 55 लाख रुपये में खरीद लिया. उन्होंने अपने डेब्यू मैच में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के खिलाफ एक ही ओवर में 2 विकेट लेकर सभी को हैरान कर दिया.

भारत के लिए कब किया डेब्यू?

अप्रैल 2025 में श्रीलंका-साउथ अफ्रीका वनडे ट्राई-सीरीज के लिए सीनियर टीम में श्री चरणी का चयन हुआ. 27 अप्रैल को श्री चरणी ने श्रीलंका के खिलाफ वनडे इंटरनेशनल में डेब्यू किया. इस टूर्नामेंट में उन्होंने 43.16 की औसत से 6 विकेट चटकाए. फिर श्री चरणी को जून 2025 में इंग्लैंड दौरे के लिए चुना गया, जहां पर उन्होंने अपना टी20 इंटरनेशनल डेब्यू किया. अपने डेब्यू मैच में ही उन्होंने 4 विकेट लेकर सभी को चौंका दिया.

MORE NEWS

Home > क्रिकेट > कभी प्लास्टिक के बल्ले से खेला क्रिकेट… आज गेंद से मचाती हैं धमाल, ऐसा रहा श्री चरणी के कामयाबी का सफर

कभी प्लास्टिक के बल्ले से खेला क्रिकेट… आज गेंद से मचाती हैं धमाल, ऐसा रहा श्री चरणी के कामयाबी का सफर

Sree Charani Success Story: भारतीय महिला टीम की स्टार स्पिनर श्री चरणी का इंटरनेशनल क्रिकेट तक का सफर काफी मुश्किल रहा है. बचपन में वह अपने चाचा के साथ प्लास्टिक के बल्ले से क्रिकेट खेलती थी. आज वह भारतीय टीम का अहम हिस्सा बन गई हैं. पढ़ें उनके सफर की कहानी...

Written By: Ankush Upadhyay
Last Updated: December 31, 2025 12:36:05 IST

Sree Charani Success Story: भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने इस साल पहली बार वर्ल्ड कप का खिताब हासिल किया. भारत की इस ऐतिहासिक जीत में बाएं हाथ की स्पिनर श्री चरणी का अहम रोल रहा. उन्होंने वर्ल्ड कप 2025 में 9 मैचों में 14 विकेट लेकर अपनी भूमिका निभाई. 21 वर्षीय श्री चरणी का वर्ल्ड कप तक का सफर आसान नहीं रहा. यहां तक पहुंचने के लिए उन्होंने कई बड़ी चुनौतियों का सामना किया. वर्ल्ड कप 2025 में भारतीय महिला टीम शुरुआत में लगातार 3 मैच हार गई थी, जिसके बाद हर कोई निराश था. श्री चरणी के पिता ने तनाव में उनसे पूछा, तुम सारे मैच हार रही हो, तो वर्ल्ड कप कैसे जीतोगी, लेकिन श्री चरणी ने उन्हें आश्वस्त करते हुए कहा कि, ‘हम हर हाल में जीतेंगे, बस देखते रहो.’

श्री चरणी की यह भविष्यवाणी आगे चलकर सही साबित हुई. भारतीय टीम ने वर्ल्ड कप के फाइनल में साउथ अफ्रीका को हराकर पहली बार ट्रॉफी अपने नाम कर ली. इस जीत में अहम भूमिका निभाने वाली गेंदबाज श्री चरणी आंध्र प्रदेश के कडप्पा जिले के एक छोटे से गांव से आती हैं, जहां पर क्रिकेट से किसी का कोई नाता नहीं रहा. इसके बावजूद गांव से निकलकर भारत के लिए वर्ल्ड कप खेलना श्री चरणी के जीवन की प्रेरणादायक कहानी है.

वर्ल्ड कप के मंच पर दिखाया साहस

सिर्फ 21 साल की उम्र में श्री चरणी ने अपना इंटरनेशनल डेब्यू किया. इसके बाद उसी साल वह वर्ल्ड कप के बड़े मुकाबलों में भी खेलीं. बाएं हाथ की स्पिनर श्री चरणी ने वर्ल्ड कप में अपना सूझबूझ और समझदारी से गेंदबाजी की और अपना रोल अदा किया. इस दौरान उनके अंदर अटूट आत्मविश्वास और प्रतिभा दिखाई दिया. उनके परिवार वाले बताते हैं कि श्री चरणी की गेंदबाजी देखकर वे सब घबरा जाते हैं, लेकिन श्री चरणी को खुद पर पूरा भरोसा था. वह घंटों तक नेट में प्रैक्टिस करती थी. अगर उनके खेल में कोई कमी रह जाती थी, तो वह सिर्फ प्रैक्टिस पर ध्यान देती थी, जब तक की वह उसमें पूरी तरह संतुष्ट नहीं हो जाती.

सामान्य परिवार से आती हैं श्री चरणी

श्री चरणी के पिता चंद्रशेखर रेड्डी रायलसीमा थर्मल पावर स्टेशन में काम करते हैं और कंपनी के साधारण से क्वार्टर में रहते थे. एक बार उनके पिता प्लास्टिक का बैट लेकर आए थे. इसके बाद जब भी श्री चरणी के चाचा किशोर रेड्डी अपनी भतीजियों से मिलने जाते, तो चरणी की बहन वैष्णवी भी क्रिकेट खेलती थी. श्री चरणी के मामा भी उनके साथ क्रिकेट खेलते थे. इसके अलावा कभी-कभी वे चरणी को क्वार्टर के मैदान में भी ले जाते थे, जहां पर ज्यादा उम्र के खिलाड़ियों के बीच चरणी को खेलने का मौका मिलता था. किशोर रेड्डी ने श्री चरणी को क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया और ट्रेनिंग भी दी.

पिता चाहते थे बैडमिंटन खिलाड़ी बने

श्री चरणी के पिता चाहते थे कि वे एक बैडमिंटन खिलाड़ी बनें. उनका मानना था कि एथलेटिक्स में आप अकेले होते हैं और सब कुछ आपके प्रदर्शन पर निर्भर करता है. वहीं, क्रिकेट में 11 खिलाड़ी होते हैं, जिससे उनके बीच एकरूपता स्थापित करना मुश्किल हो जाता है. इसके चलते श्री चरणी ने क्रिकेट से पहले स्कूल में बैडमिंटन खेला, खो-खो खेला और फिर मध्यम-लंबी दूरी की दौड़ में भी भाग लिया. उन्होंने स्टेट लेवल प्रतियोगिताओं में खो-खो में शानदार प्रदर्शन किया. इसके अलावा दौड़ में लड़कों को कड़ी टक्कर देती थी. हालांकि श्री चरणी को क्रिकेट खेलना पसंद था. उनके पिता बताते हैं कि एक बार एसएआई के प्रमुख एन रमेश ने श्रीचरणी से पूछा कि उन्हें कौन सा खेल पसंद है, तो श्री चरणी ने जवाब दिया, क्रिकेट.

कैसे हुई क्रिकेट करियर की शुरुआत?

श्री चरणी ने अपने खेल से पूर्व क्रिकेटर और राष्ट्रीय चयनकर्ता एमएसके प्रसाद का भी ध्यान आकर्षित किया. उन्होंने श्री चरणी को क्रिकेट खेलने की सलाह दी. इसके बाद श्री चरणी पूर्व रणजी क्रिकेटर मर्रीपुरी सुरेश के पास गईं, जो उस समय वहां कोच थे. यहीं से चरणी ने अपने प्रोफेशनल करियर की शुरुआत की. श्री चरणी को परिवार से सपोर्ट मिला और उनके चाचा ने भी काफी ट्रेनिंग दी. इसके चलते भारत की अंडर-19 टीम में जगह मिली. 20 साल की उम्र में श्री चरणी ने कई सालों आंध्रा के मुख्य कोच श्रीनिवास रेड्डी के मार्गदर्शन में अपनी गेंदबाजी कला को निखारा. फिर WPL के ऑक्शन में दिल्ली कैपिटल्स की टीम ने उन्हें 55 लाख रुपये में खरीद लिया. उन्होंने अपने डेब्यू मैच में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) के खिलाफ एक ही ओवर में 2 विकेट लेकर सभी को हैरान कर दिया.

भारत के लिए कब किया डेब्यू?

अप्रैल 2025 में श्रीलंका-साउथ अफ्रीका वनडे ट्राई-सीरीज के लिए सीनियर टीम में श्री चरणी का चयन हुआ. 27 अप्रैल को श्री चरणी ने श्रीलंका के खिलाफ वनडे इंटरनेशनल में डेब्यू किया. इस टूर्नामेंट में उन्होंने 43.16 की औसत से 6 विकेट चटकाए. फिर श्री चरणी को जून 2025 में इंग्लैंड दौरे के लिए चुना गया, जहां पर उन्होंने अपना टी20 इंटरनेशनल डेब्यू किया. अपने डेब्यू मैच में ही उन्होंने 4 विकेट लेकर सभी को चौंका दिया.

MORE NEWS