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कभी फैक्ट्री में मजदूरी के बाद भी नहीं कर पाता था खाने का इंतज़ाम, अब बना रहा IPL की दुनिया में अपना नाम

BY: India News Desk • LAST UPDATED : May 8, 2022, 7:53 pm IST
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कभी फैक्ट्री में मजदूरी के बाद भी नहीं कर पाता था खाने का इंतज़ाम, अब बना रहा IPL की दुनिया में अपना नाम

राहुल कादयान, नई दिल्ली:
इंडियन प्रीमियर लीग 2022 (IPL 2022) का सीजन मुंबई इंडियंस (Mumbai Indians) के लिए अबतक का सबसे बुरा सीजन रहा है। मुम्बई के लिए यह ऐसे बुरे सपने जैसा था जिसे टीम ने पिछले 14 साल में अब तक नहीं देखा था। ख़राब शुरुआत के बाद टीम 8 मुकाबले लगातार गंवा चुकी थी और फिर अंत में जाकर टीम को राजस्थान के खिलाफ अपने 9वें मैच में पहली जीत नसीब हुई। हालाकिं तबतक मुंबई इंडियंस की टीम टूर्नामेंट से बाहर हो चुकी थी। इस मैच में एक ऐसे क्रिकेटर का परदार्पण हुआ जिसके बारे में बेहद कम लोगों ने सुना था।

गौतम गंभीर के कोच का मिला साथ

हम यहां पर बात कर रहे हैं फिरकी गेंदबाज कुमार कार्तिकेय सिंह (Kumar Karthikeya Singh) की। इस गेंदबाज के पास रिस्ट स्पिन, गूगली, फिंगर स्पिन और कैरम बॉल जैसे विकल्प न सिर्फ मौजूद हैं, साथ ही उन्हें कब और कैसे इस्तेमाल करना है उनकी भी पूरी जानकारी है। अपने प्रदर्शन के दम पर कार्तिकेय क्या कर सकते हैं यह हम उनके पहले ही मैच में देख चुके हैं।

कार्तिकेय को अपने डेब्यू मैच में सिर्फ एक विकेट मिला था लेकिन इस खिलाड़ी ने टीम के कप्तान रोहित शर्मा (Rohit Sharma) को काफी प्रभावित किया। कार्तिकेय ने अपने पहले ही मैच में राजस्थान के कप्तान संजू सैमसन (Sanju Samson) का विकेट लिया था। आपको बता दें कि गौतम गंभीर (gautam gambhir) के कोच रह चुके भारद्वाज ने ही कार्तिकेय को भी निखारा है, उन्होंने ही अमित मिश्रा (Amit Mishra) को भी हरियाणा भेजा था क्यूंकि वह भांप गए थे कि दिल्ली में उनकी कला का कदर नहीं होगी।

फिंगर स्पिनर से रिस्ट स्पिनर बने कार्तिकेय

पहले ही मैच में अच्छे प्रदर्शन के बाद कार्तिकेय को अब पहचान मिल चुकी है। एक बातचीत में कार्तिकेय के कोच संजय भारद्वाज ने ये खुलासा किया कि कार्तिकेय पहले फिंगर स्पिनर थे लेकिन लगातार अभ्यास के बाद अब वो रिस्ट स्पिनर बन चुके हैं। कार्तिकेय 15 साल की उम्र में कानपुर से दिल्ली के भारद्वाज क्रिकेट अकादमी (Bharadwaj Cricket Academy) आए। कार्तिकेय ने अपने परिवार से वादा किया था कि वो पीएसी में सिपाही की नौकरी करने वाले अपने पिता पर वित्तीय बोझ नहीं डालेंगे।

दिल्ली में कार्तिकेय के दोस्त राधेश्याम ने उनके लिए काफी कोशिश की और उन्हें हर जगह लेकर गए लेकिन हर अकादमी ने उनसे ज्यादा फीस मांगी। जब दोनों ने भारद्वाज को अपनी स्थिति बताई तो उन्होंने कार्तिकेय को नेट में गेंदबाजी करने के लिए कहा। इसके बाद भारद्वाज ने कार्तिकेय की गेंद देख उनका हुनर पहचाना।

10 रुपए बचाने के लिए पैदल चलते थे कार्तिकेय

कार्तिकेय को अकादमी तो मिल गई लेकिन उन्हें खाने और रहने के लिए अभी भी घर चाहिए था। इसके बाद वो अकादमी से 80 किमी दूर गाजियाबाद के बगल में मसूरी में रहने लगे जहां उन्होंने एक फैक्ट्री में मजदूरी शुरू कर दी। रात भर मजदूरी करते फिर सुबह-सुबह कोचिंग के लिए जाते।

कई किलोमीटर पैदल चलते ताकि बिस्कुट के लिए 10 रुपए बच जाएं। भारद्वाज को कार्तिकेय का अकादमी में रहने का पहला दिन बहुत अच्छी तरह याद है। “जब हमारे कुक ने उसको दोपहर का खाना दिया तो वह रो पड़ा। उसने एक साल से दोपहर का खाना नहीं खाया था।” इसके बाद भारद्वाज ने उनका एडमिशन एक स्कूल में करवा दिया जिसके बाद उन्होंने वहां से नेशनल खेला और फिर डीडीसीए लीग में 45 विकेट चटकाए।

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