संबंधित खबरें
पिता बने Axar Patel, घर गूंजी नन्हे मेहमान की किलकारी, बच्चे के नाम का किया खुलासा
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में होने वाला है कमाल, किंग कोहली के इस रिकॉर्ड को धुएं में उड़ा देगा ये युवा खिलाड़ी?
भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच चौथा टेस्ट:विवादों, चुनौतियों और संभावनाओं का सामना
प्रशंसकों के प्रति Vinod Kambli का संदेश, कहा-"मैंने आपको नहीं छोड़ा, और कभी नहीं…
Kho-Kho World Cup 2025 प्रशिक्षण शिविर: चैंपियंस बनाने की एक प्रेरणादायक यात्रा
ICC Champions Trophy 2025: 23 फरवरी को दुबई में मचेगा धमाल, चैंपियंस ट्रॉफी के लेकर हुआ बड़ा ऐलान
ऋतिक कपूर: विराट कोहली (Virat Kohli) और रविचंद्रन अश्विन (Ravi Ashwin) समय-समय पर भारत में इस्तेमाल होने वाली एसजी गेंदों की क्वालिटी पर सवाल उठाते रहे हैं और ड्यूक गेंदें उनकी पहली पसंद हैं। रिकी पॉन्टिंग ने भी ऑस्ट्रेलियाई घरेलू क्रिकेट में ड्यूक गेंदों के इस्तेमाल की मांग की है।
भारतीय क्रिकेट टीम जब भी विदेशी दौरों पर जाती है, तब उसे खासकर अलग किस्म की गेंदों का सामना करना पड़ता है। ऐसी गेंदों का इस्तेमाल अमूमन भारत में नहीं होता। उनमें से एक ड्यूक गेंद हैं जिसका इंग्लैंड, वेस्टइंडीज़ और आयरलैंड जैसे टेस्ट खेलने वाले देशों में इस्तेमाल किया जाता है। कूकाबुरा गेंदों का इस्तेमाल ऑस्ट्रेलिया में किया जाता है।
जबकि बांग्लादेश क्रिकेट बोर्ड ने अपने यहां होने वाली नैशनल क्रिकेट लीग में एसजी गेंद के बजाय ड्यूक गेंद का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। ड्यूक गेंदों की पैरवी करने की एक वजह यह है कि इसकी हाथों से की गई सिलाई स्विंग गेंदबाजों को काफी रास आती है और
उन्हें इस गेंद से बल्लेबाज़ो को परेशान करने में बहुत मज़ा आता है। यह हवा में ज्यादा स्विंग होती है। जबकि एसजी गेंदें बहुत जल्दी चमक खो देती हैं। जो चमड़े के दो टुकड़ों से ही बनी होती है। जिससे इसका आकार बहुत जल्दी बदल जाता है।
भारतीय कंडीशंस में 15 से 20 ओवर तक ही इसमें स्विंग मिलती है। एसजी गेंद से रिवर्स स्विंग करना आसान होता है। क्योंकि एसजी गेंद जल्दी पुरानी होती है। इसलिए स्पिनर्स को ग्रिप बनाने और इसे हवा में घुमाने में आसानी होती है। साथ ही इस गेंद में स्पिनर्स को ज्यादा टर्न मिलता है।
कूकाबुरा गेंद में लो सीम होती है। इसमें शुरुआती 20 ओवर में अच्छी स्विंग मिलती है। लेकिन इसके बाद यह बल्लेबाजों को मदद करती है। कूकाबुरा गेंद की सिलाई जब उधड़ जाती है, तो स्पिनरों को भी ग्रिप करने में इसे दिक्कत आती है। ड्यूक गेंद की सीम 55 से 60 ओवर तक बनी रहती है।
इंग्लैंड की कंडीशंस स्विंग गेंदबाज़ी के अनुकूल होती है। इसलिए ड्यूक गेंदें यहां तेज़ गेंदबाजों के लिए मददगार साबित होती है। लाल ड्यूक गेंद का इस्तेमाल इंग्लैंड में होता है और यह गेंद चार क्वार्टर यानी चार टुकड़ों को सील कर बनाई जाती है।
भारत में ऐसा चमड़ा नहीं मिलता। भारत में कम से कम दो या 2.5 मिलीमीटर चौडाई का चमड़ा ही इस्तेमाल होता है। ड्यूक गेंद को बनाते वक्त इस पर ट्रेनिंग के समय ग्रीसिंग की जाती है। जिसकी वजह से यह गेंद जल्दी पुरी नहीं होती और इंग्लिश कंडीशन्स में जहां भारी बरसात होती है
वहां ग्रीसिंग गेंद के लिए एक तरह से वाटरप्रूफ का काम करती है। अगर कोई गेंद ज्यादा गाढ़े रंग की नज़र आती है तो इसका मतलब होता है कि चमड़े ने ज्यादा ग्रीस सोख ली है इसलिेए गेंदबाज़ इस गेंद को बेहतर ढंग से चमका सकते हैं और इसे अधिक और लंबे समय तक स्विंग करा सकते हैं।
इन्हीं सब खूबियों की वजह से ड्यूक गेंदें विराट कोहली (Virat Kohli) और भारतीय खिलाड़ियों की पहली पसंद बनती जा रही है। उम्मीद करनी चाहिए कि इनका इस्तेमाल भारतीय घरेलू सत्र में भी किया जाए। जिससे भारतीय खिलाड़ी इसके लिए और ज़्यादा तैयार हो सकें।
ये भी पढ़े : विराट कोहली की धमाकेदार वापसी, अफगानिस्तान के खिलाफ शानदार सेंचुरी से खत्म किया 1020 दिन का सूखा
ये भी पढ़े : रवींद्र जडेजा के घुटने की चोट से नाराज है बीसीसीआई: सूत्र
हमें Google News पर फॉलो करे- क्लिक करे !
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.