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राहुल कादियान:
वीरेंद्र सहवाग का नाम क्रिकेट क्रिकेट के उन चुनिंदा बल्लेबाजों में शामिल होता है। जो विस्फोटक बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं। क्रिकेट के तीनों फॉर्मेट में सहवाग के खेलने का अंदाज एक-सा होता था और वह गेंदबाजों की धुनाई करने में महारत हासिल थी। लेकिन सहवाग के करियर में एक समय ऐसा भी आया जब इस सलामी बल्लेबाज के मन में रिटायरमेंट लेने का विचार आया था।
सहवाग ने कहा कि वह 2008 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान भारत के तत्कालीन कप्तान एमएस धोनी ने उन्हें प्लेइंग इलेवन से ड्रॉप कर दिया था, जिसके बाद वह वनडे क्रिकेट से संन्यास लेना चाहते थे। सहवाग ने यह भी खुलासा किया कि यह सचिन तेंदुलकर थे जिन्होंने उन्हें वनडे इंटरनेशनल से संन्यास लेने से रोका था।
सहवाग ने कहा, ‘2008 में जब हम ऑस्ट्रेलिया में थे तो मेरे दिमाग में रिटायरमेंट का सवाल आया। मैंने टेस्ट सीरीज में वापसी की थी और 150 रन बनाए। वनडे में मैं तीन-चार प्रयासों में इतना स्कोर नहीं कर सका, इसलिए एमएस धोनी ने मुझे प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया तो मेरे दिमाग में एकदिवसीय क्रिकेट छोड़ने का विचार आया। मैंने सोचा कि मैं केवल टेस्ट क्रिकेट खेलना जारी रखूंगा।
सहवाग ने उस ट्राई सीरीज में चार मैचों में 6, 33, 11 और 14 रन बनाए थे, जिसके बाद इस खिलाड़ी को प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया गया था। एडिलेड में दो मैचों में प्लेइंग इलेवन से बाहर रहने के बाद सहवाग को एक बार फिर सिडनी में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अगले लीग मैच में प्लेइंग इलेवन में चुना गया,
उस मैच में वह 14 रन ही बना सके, जिसके बाद उन्हें फिर ड्रॉप कर दिया गया। भारत ने उस सीबी सीरीज में बेस्ट ऑफ थ्री फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को 2-0 से हराकर ऐतिहासिक जीत हासिल की थी। सहवाग ने कहा, ‘सचिन तेंदुलकर ने मुझे उस समय रिटायरमेंट लेने से रोका था।
उन्होंने कहा कि यह आपके जीवन का एक बुरा दौर है। बस रुको, इस दौरे के बाद घर वापस जाओ, अच्छी तरह से सोचो और फिर तय करो कि आगे क्या करना है। मैं लकी रहा कि उस समय मैंने रिटायरमेंट की घोषणा नहीं की।
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