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इंडिया न्यूज (India News): 27 सदस्यीय वेटलिफ्टिंग टीम बिना राशि के रूस भेजे जाने पर मुश्किल में फंस गई है। मॉस्को स्थित चेखोव स्पोट्र्स बेस में तैयारियों के लिए गई टीम के प्रशिक्षकों से रूसी वेटलिफ्टिंग संघ और मेजबानों ने साफ कर दिया है कि अगर उन्हें बृहस्पतिवार तक 40 हजार पांच सौ अमेरिकी डॉलर (लगभग 33 लाख रुपये) नहीं दिए गए तो उन्हें मजबूरन टीम का खाना बंद करना पड़ेगा। टीम ने साई से गुहार लगाई है कि उन्हें जल्द से जल्द अमेरिकी डॉलर भिजवाए जाएं, जिससे उन्हें मुसीबत से छुटकारा मिले। साई महानिदेशक संदीप प्रधान ने बृहस्पतिवार को ही विदेश मंत्रालय के यूरेशिया विभाग के संयुक्त सचिव को पत्र लिखकर मॉस्को स्थित भारतीय दूतवास के जरिए टीम को अमेरिकी डॉलर उपलब्ध कराने के लिए पत्र लिखा है।
19 वेटलिफ्टरों और छह सपोर्ट स्टाफ को एनआईएस पटियाला से तैयारियों के लिए रूस भेजा गया। टीम को 5 जून तक वहां तैयारियां करनी हैं। वेटलिफ्टर 15 मई को ही मॉस्को पहुंच गए, लेकिन टीम के किसी भी सदस्य को साथ में कोई राशि नहीं दी गई। जिसके चलते टीम सदस्य भारतीय एयरपोर्ट पर रुपये को अमेरिकी डॉलर में परिवर्तित नहीं करा सके।
टीम के वहां पहुंचने के डेढ़ दिन बाद साई ने 29 लाख 88 हजार रुपये की राशि मुख्य प्रशिक्षक के खाते में ट्रांसफर की, लेकिन यह राशि मास्टर कार्ड या वीजा कार्ड से ही निकाली जा सकती थी। रूस पर लगे अमेरिकी प्रतिबंध के चलते वहां के किसी भी बैंक ने इन कार्ड को लेने से इंकार कर दिया। मेजबानों ने भी कह दिया कि वह न तो रुपये में राशि लेंगे और न ही कार्ड के जरिए कोई भुगतान कर पाएंगे। उन्हें अमेरिकी डॉलर में ही राशि चाहिए है।
कोच ने तुरंत साई को सारी स्थिति से अवगत कराया। साई के संज्ञान में जैसे ही यह मामला आया तो हड़कंप इस बात का मचा कि बिना राशि के टीम भेज कैसे दी गई। इसके बाद ही साई महानिदेशक संदीप प्रधान और टॉप्स सीईओ पुष्पेंद्र गर्ग ने विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव चरणजीत सिंह को पत्र लिखा है कि मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास से संपर्क साधकर भारतीय टीम को 40,500 अमेरिकी डॉलर और अतिरिक्त खर्च के लिए पांच हजार रूबल उपलब्ध कराए जाएं। भारतीय दूतावास को इस राशि का भुगतान कर दिया जाएगा।
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