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Amit Shah Remark on familyism: बिहार विधानसभा चुनावों (Bihar Assembly Election) की आहट तेज़ हो चुकी है. उम्मीद है कि अक्टूबर के पहले सप्ताह में चुनाव की तारीख़ों का ऐलान हो जाएगा. ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ रणनीतिकार अमित शाह ने दो दिवसीय बिहार दौरे के दौरान पार्टी नेताओं को साफ संदेश दिया है. उन्होंने कहा कि अगर भाजपा सचमुच सत्ता पाना चाहती है, तो उसे दो बड़ी कमज़ोरियों से बचना होगा परिवारवाद और आपसी सिर-फुटौव्वल.
पिछली गलती से सबक लेने की सलाह
अमित शाह ने भाजपा कोर ग्रुप की बैठक में याद दिलाया कि पिछली बार भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन सत्ता की चाबी नीतीश कुमार के पास चली गई. इस बार पार्टी न सिर्फ़ सबसे बड़ी पार्टी बनना चाहती है, बल्कि मुख्यमंत्री की कुर्सी भी अपने पास रखना चाहती है. उन्होंने नेताओं को आगाह किया कि यदि आपसी झगड़े और गुटबाज़ी पर लगाम नहीं लगी तो इसका सीधा फायदा तेजस्वी यादव के महागठबंधन को मिलेगा.
रिपोर्ट से नाखुश दिखे शाह
बैठक में शाह ने साफ कहा कि उनके पास जो ज़मीनी रिपोर्ट आ रही है, वह अच्छी नहीं है. स्थानीय स्तर पर भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं की आपसी खींचतान और NDA सहयोगियों से दूरी चिंता का विषय है. शाह ने चेतावनी भरे लहज़े में कहा कि बिहार चुनाव जीतना है तो आपसी फुट डालो, राज करो वाली राजनीति बंद करनी होगी.
टिकट में परिवारवाद से करे परहेज़- शाह
अमित शाह ने दूसरी बड़ी बात टिकट वितरण को लेकर कही. उन्होंने साफ कर दिया कि किसी भी नेता को अपने परिजनों के लिए टिकट की सिफारिश नहीं करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि भाजपा की लड़ाई ही परिवारवाद के ख़िलाफ़ है और अगर खुद भाजपा नेता परिवारवाद को बढ़ावा देंगे तो तेजस्वी यादव और राहुल गांधी जैसे नेताओं के खिलाफ़ पार्टी की नैतिक बढ़त कमज़ोर पड़ जाएगी.
स्थानीय स्तर पर तालमेल पर ज़ोर
अमित शाह ने बैठक में निर्देश दिया कि भाजपा नेता हर विधानसभा सीट पर एनडीए कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित करें. उनका मानना है कि स्थानीय स्तर पर तालमेल और समन्वय मज़बूत होने से एनडीए को चुनावी लाभ मिलेगा. उन्होंने आश्वासन दिया कि ऊपरी स्तर पर सहयोगियों के साथ सामंजस्य बैठाने की ज़िम्मेदारी वे खुद संभालेंगे, लेकिन नीचे संगठन स्तर पर नेताओं को सक्रिय होना होगा.
अगली रणनीति 28 सितंबर को
शाह ने यह भी बताया कि वे 28 सितंबर को फिर से बिहार आएंगे. उस दौरान भाजपा उम्मीदवारों की सूची पर मुहर लगेगी, चुनाव प्रचार अभियान की रूपरेखा तय होगी और NDA के भीतर सीट बंटवारे व सामंजस्य की अंतिम रणनीति पर चर्चा होगी.