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Bihar Election 2025: बिहार में आचार संहिता लागू, DM और SP के बढ़े अधिकार, जानें क्या होंगे उनके नए पावर

Bihar Assembly Election 2025: बिहार चुनाव की तारीख का एलान हो चुका है और बिहार में अब आचार संहिता लागू हो चुकी है.

Written By: shristi S
Last Updated: October 6, 2025 17:35:55 IST

Model Code of Conduct: बिहार में चुनाव का एलान हो चुका है और साथ ही आचार संहिता भी लागू हो चुकी है. इस बार चुनाव 2 चरणों में होंगे 6 नंवबर और 11 नंवबर और नतीजें 14 नंवबर को आएंगे. आचार संहिता के दौरान अब जिला प्रशासन विशेष तौर से District Magistrate (DM) और Superintendent of Police (SP) की भूमिका अहम हो जाती है, क्योकि इन्हीं दोनों अधिकारियों के कंधों पर चुनाव को निष्पक्ष, शांतिपूर्ण और पारदर्शी तरीके से संपन्न कराने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी होती है. ऐसे में चलिए जानें कि आचार संहिता लागू होने का अर्थ क्या है और इस दौरान DM और SP की क्या भूमिका रहती है. 

आचार संहिता लागू होने का अर्थ

जैसे ही आचार संहिता लागू होती है, राज्य सरकार की सामान्य प्रशासनिक शक्तियां सीमित हो जाती हैं. अब सभी अधिकारी प्रत्यक्ष रूप से निर्वाचन आयोग के अधीन आ जाते हैं. यह व्यवस्था इसलिए होती है ताकि किसी भी तरह के राजनीतिक हस्तक्षेप से बचा जा सके और चुनावी प्रक्रिया की निष्पक्षता बनी रहे.

 DM की भूमिका और शक्तियां

आचार संहिता लागू होने के बाद जिले के डीएम की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण हो जाती है. वह मुख्य निर्वाचन अधिकारी के रूप में काम करते हैं और उनके पास निम्नलिखित विशेष शक्तियां होती हैं:

1. चुनावी नियंत्रण और जिम्मेदारी – डीएम को यह अधिकार होता है कि वह जिले के सभी सरकारी कर्मचारियों को चुनाव कार्य में लगा सके.

2. आचार संहिता के पालन की निगरानी – यदि कोई उम्मीदवार, पार्टी या संगठन आचार संहिता का उल्लंघन करता है, तो डीएम तत्काल कार्रवाई कर सकते हैं.

3. प्रचार सामग्री और सार्वजनिक स्थानों पर नियंत्रण – अवैध पोस्टर, बैनर, और बिना अनुमति की रैलियों को रोकने की जिम्मेदारी डीएम पर होती है.

4. निष्पक्षता सुनिश्चित करना – किसी अधिकारी पर पक्षपात के आरोप लगने पर डीएम चुनाव आयोग को उसके तबादले या ड्यूटी परिवर्तन की अनुशंसा कर सकते हैं.

SP की जिम्मेदारियां और अधिकार

जहां डीएम प्रशासनिक नियंत्रण संभालते हैं, वहीं एसपी पूरे जिले की कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी उठाते हैं. चुनावी माहौल में एसपी की भूमिका अत्यंत संवेदनशील होती है, क्योंकि छोटी सी घटना भी बड़ा रूप ले सकती है.

1. सुरक्षा व्यवस्था और पेट्रोलिंग – एसपी जिलेभर में पुलिस बल की तैनाती तय करते हैं और नियमित फ्लैग मार्च करवाते हैं.

2. संवेदनशील क्षेत्रों पर नजर – जिन इलाकों में तनाव या हिंसा की आशंका होती है, वहाँ विशेष सुरक्षा उपाय किए जाते हैं.

3. धारा 144 का प्रवर्तन – किसी भी स्थिति में यदि कानून-व्यवस्था बिगड़ने की संभावना दिखे, तो एसपी तत्काल धारा 144 लागू कर सकते हैं.

4. राजनीतिक गतिविधियों पर नियंत्रण – एसपी यह सुनिश्चित करते हैं कि कोई भी राजनीतिक दल सार्वजनिक संसाधनों का उपयोग अपने प्रचार में न करे.

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