Bihar Politics: बिहार में इन दिनों विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ पूरे जोरों पर हैं. सभी पार्टियों ने विधानसभा चुनाव के लिए कमर कस ली है और इलेक्शन कमीशन ने भी तैयारियाँ कर ली हैं. अब बस तारीखों का एलान होना बाकी है, हालाँकि बिहार की राजनीति के इतिहास पर नज़र डालें तो कई ऐसे मुख्यमंत्री हुए हैं जिनकी कुर्सी इतनी जल्दी हिली कि वे 20 दिन भी सत्ता के सिंहासन पर नहीं बैठ पाए. तो आइए आपको बताते हैं बिहार के उन मुख्यमंत्रियों के बारे में जो बिहार के इतिहास में सबसे कम वक्त तक सत्ता में रहे.
ये हैं सबसे कम सत्ता में रहने वाले सीएम
सबसे पहले बात करते हैं बिहार के सबसे कम कार्यकाल वाले मुख्यमंत्रियों की. 1967 का दौर था जब बिहार में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी (SSP) का दबदबा था. महामाया प्रसाद सिन्हा के इस्तीफे के बाद 28 जनवरी 1968 को सतीश प्रसाद सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया। लेकिन उनकी सत्ता महज 5 दिन ही चली. 1 फरवरी को ही विधानसभा में विश्वास मत हारने के बाद उन्हें त्यागपत्र देना पड़ा था. बाद में वे राज्यसभा सदस्य बने और राजनीति में सक्रिय रहे, लेकिन यह उनका सबसे छोटा कार्यकाल था.
भोला पासवान शास्त्री
भोला पासवान शास्त्री दूसरे नंबर पर हैं. भोला पासवान शास्त्री की कुर्सी केवल 7 दिनों तक ही चली.आश्चर्यजनक बात यह है कि भोला पासवान तीन बार मुख्यमंत्री बने, लेकिन तीनों कार्यकाल मिलाकर भी वे एक साल भी पूरा नहीं कर पाए. वे पहली बार 22 मार्च 1968 को मुख्यमंत्री बने और अपने कार्यकाल में 100 दिनों तक मुख्यमंत्री रहे. इसके बाद, वे 22 जून 1969 से 4 जुलाई तक केवल 13 दिनों के लिए ही मुख्यमंत्री रहे. फिर 2 जून 1971 को उन्होंने तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और इस बार उनका कार्यकाल 9 जनवरी 1972 तक रहा.
दीप नारायण सिंह
दीप नारायण सिंह तीसरे स्थान पर आते हैं। दीप नारायण सिंह बिहार के दूसरे और सबसे कम समय तक मुख्यमंत्री रहने वाले मुख्यमंत्री हैं. बिहार के पहले मुख्यमंत्री श्री कृष्ण सिंह का निधन हो गया था. उनकी मृत्यु के बाद, बिहार के राज्यपाल ने 1 फ़रवरी 1961 को दीप नारायण सिंह को कार्यवाहक मुख्यमंत्री नियुक्त किया, लेकिन वे 18 फ़रवरी 1961 तक ही पद पर रहे. वे केवल 17 दिनों तक ही मुख्यमंत्री पद पर रह सके. उनका कार्यकाल छोटा था क्योंकि उनके पद पर बने रहने का उद्देश्य राज्य के मामलों का प्रबंधन करना था. वे स्थायी मुख्यमंत्री नहीं थे.
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