Bihar SIR
Bihar SIR : बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राज्य की मतदाता सूची को लेकर उठे विवाद ने राजनीतिक में उथल-पुथल मचा दी है. चुनाव आयोग के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान में 7.42 करोड़ मतदाताओं के नाम शामिल होने के बावजूद विपक्षी दल INDIA गठबंधन ने मतदाता लिस्ट में गड़बड़ियों का आरोप लगाया है. जिसके बाद विपक्ष ने बूथ लेवल वेरिफिकेशन कैंपेन शुरू कर दिया है.
ये अभियान राज्य के सभी 243 विधानसभा क्षेत्र में चलाया जायेगा. जिसमें मतदाताओं के नामों का सत्यापन, डुप्लिकेट प्रविष्टियों की पहचान और गलत विलोपन को चुनौती दिया जायेगा. विपक्ष का दावा है कि एसआईआर प्रक्रिया में लाखों निर्दोष मतदाताओं के नाम हटाए गए. जबकि कुछ जगह पर फर्जी मतदाता जोड़े गए है.
India ब्लॉक के नेताओं खासकर कांग्रेस के राहुल गांधी और राजद के तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया है कि एसआईआर ने अल्पसंख्यक, प्रवासी और गरीब वर्ग के मतदाताओं को निशाना बनाया. एक जांच रिपोर्ट के अनुसार, अकेले 39 विधानसभा क्षेत्र में 1.88 लाख संदिग्ध डुप्लिकेट मतदाता पाए गए. जिनमें से 16,375 मामले में तस्वीर और अन्य विवरण बिल्कुल मेल खाते थे. जानकारी के अनुसार कुल 142 निर्वाचन क्षेत्र में 5.56 लाख संदिग्ध डुप्लिकेट की पहचान की गई है. इसके अलावा 58 विधानसभा क्षेत्र के 200 बूथ पर प्रति बूथ 324 से 641 नाम की असामान्य रूप से बड़ी संख्या में नाम हटाए गए. जो बीएलओ की मनमानी को दर्शाता है. इस बीच सबसे ज़्यादा नाम हटाने की दर किशनगंज जैसे मुस्लिम ज़िला में पाई गई. कई मतदाताओं ने शिकायत की कि उनके जीवित रहते हुए भी उनके नाम मृत घोषित कर दिए गए. ग्रामीण क्षेत्र में बीएलओ ने फ़ॉर्म भरने में मदद की. लेकिन रसीद नहीं दीं और दस्तावेज़ जमा न करने पर नाम हटाने की धमकी दिया.
इन आरोप के जवाब में इंडिया अलायंस ने 25 सितंबर को बूथ-स्तरीय सत्यापन अभियान शुरू किया गया है. ये अभियान तीन चरणों में चलाया जा रहा है. पहला चरण आपत्तियां दर्ज करने के लिए दूसरा सत्यापन के लिए और तीसरा कानूनी चुनौती के लिए. गठबंधन के 11 दलों ने 1.5 लाख बूथ-स्तरीय एजेंट (BLA) तैनात किए हैं जो मतदाताओं के नामों की जांच कर रहे है. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने पटना में मतदाता अधिकार यात्रा का नेतृत्व किया जिसमें हज़ारों लोग शामिल हुए.
दूसरी ओर भाजपा ने एसआईआर को चुनावों की पवित्रता के लिए ज़रूरी बताया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य “घुसपैठियों” को हटाना है. जिन्हें विपक्ष रोकना चाहता है. भाजपा के एक प्रवक्ता ने इन आरोप को हार का रोना बताकर खारिज कर दिया. आयोग ने ये भी स्पष्ट किया कि इसमें कोई पक्षपात नहीं था और 98% मतदाताओं ने फॉर्म भरे थे. हालांकि आलोचक का कहना है कि इस प्रक्रिया का समय (चुनाव से ठीक पहले) संदिग्ध है.
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