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Delhi Cloud Seeding Failure Reason: दिल्ली- NCR इस वक्त गंभीर वायु प्रदूषण की चपेट में हैं. सांस लेना मुश्किल हो गया है, आंखों में जलन और गले में खराश जैसी समस्याएं आम हो चुकी हैं. इस बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए सरकार ने एक अनोखा कदम उठाया क्लाउड सीडिंग (Cloud Seeding) यानी कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) का प्रयोग. उम्मीद थी कि बारिश के जरिए हवा में मौजूद प्रदूषक तत्व नीचे बैठ जाएंगे और लोगों को राहत मिलेगी. लेकिन यह प्रयोग पूरी तरह सफल नहीं हो पाया.
क्यों असफल रहीं क्लाउड सीडिंग की पहल?
दिल्ली में कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) की इस योजना को IIT कानपुर के वैज्ञानिकों की टीम अंजाम दे रही है. मंगलवार को इस टीम ने कानपुर से एक विशेष एयरक्राफ्ट उड़ाया, जिसने दिल्ली के चुनिंदा इलाकों में क्लाउड सीडिंग की प्रक्रिया पूरी की. इस दौरान 14 फ्लेयर्स दागे गए, जिनमें 20% सिल्वर आयोडाइड, रॉक सॉल्ट और सामान्य नमक का मिश्रण था. वैज्ञानिकों का मानना था कि इन रासायनिक कणों से बादलों में नमी बढ़ेगी और बारिश शुरू होगी. शाम तक यह प्रक्रिया पूरी कर ली गई थी, और उम्मीद थी कि कुछ ही घंटों में बूंदाबांदी होगी लेकिन आसमान से एक भी बूंद नहीं गिरी.
क्या थी असफलता की वजह?
क्लाउड सीडिंग प्रयोग की असफलता पर IIT कानपुर के निदेशक प्रो. मनिंद्र अग्रवाल ने स्पष्ट किया कि यह नाकामी तकनीकी नहीं, बल्कि मौसमी परिस्थिति की वजह से हुई. उन्होंने बताया कि मंगलवार को दिल्ली के बादलों में नमी की मात्रा बहुत कम थी. नमी के बिना क्लाउड सीडिंग प्रभावी नहीं हो सकती. यह प्रक्रिया कोई जादुई इलाज नहीं, बल्कि एक इमरजेंसी उपाय है. उन्होंने आगे कहा कि बुधवार को दोबारा दो उड़ानों के जरिए सीडिंग का प्रयास किया जाएगा ताकि अगली बार सफलता मिल सके.
क्या क्लाउड सीडिंग ही है प्रदूषण का उपाय?
दिल्ली में हर साल सर्दियों के दौरान प्रदूषण चरम पर पहुंच जाता है पराली जलाने, वाहन धुएं और मौसम की वजह से हवा में कणिकाएं जमा हो जाती हैं. ऐसे में लोग पूछ रहे हैं कि क्या क्लाउड सीडिंग ही इसका स्थायी समाधान है? इस पर प्रो. अग्रवाल ने जवाब दिया कि क्लाउड सीडिंग केवल आपातकालीन उपयोग के लिए है. यह प्रदूषण घटाने का एक अस्थायी उपाय है, कोई दीर्घकालिक समाधान नहीं. स्थायी समाधान के लिए उद्योगों, वाहनों और कचरा प्रबंधन पर सख्त नियंत्रण जरूरी है.
क्या रही दिल्ली सरकार की प्रतिक्रिया?
दिल्ली सरकार इस प्रयोग को लेकर अभी भी आशावादी है. मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को नोएडा में 0.1 मिमी और ग्रेटर नोएडा में इससे दोगुनी यानी 0.2 मिमी बारिश दर्ज की गई. सरकार का कहना है कि यह प्रक्रिया जारी रहेगी, क्योंकि इससे भविष्य में प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में ठोस परिणाम मिल सकते हैं. पर्यावरण विभाग ने भी संकेत दिए हैं कि नवंबर के पहले सप्ताह में नमी बढ़ने पर फिर से क्लाउड सीडिंग की योजना लागू की जाएगी.