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दिल्ली NCR में प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती, 9 टोल प्लाजा अस्थायी रूप से निलंबित करने पर विचार का निर्देश

Delhi NCR Pollution: सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिया कि टोल प्लाज़ा पर वाहनों की लंबी कतारों से प्रदूषण और उत्सर्जन बढ़ता है, जिसे देखते हुए यह कदम जनहित में हो सकता है.

Written By: shristi S
Last Updated: December 17, 2025 17:46:41 IST

SC On Delhi NCR Pollution: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में नौ एंट्री पॉइंट्स पर नगर निगम द्वारा टोल कलेक्शन के बारे में कड़ी टिप्पणियां की हैं. कोर्ट ने इसके कारण होने वाले ट्रैफिक जाम को प्रदूषण का एक बड़ा कारण बताया. चीफ जस्टिस सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने MCD से फिलहाल टोल कलेक्शन बंद करने पर विचार करने को कहा. इस मामले पर एक हफ्ते के अंदर फैसला आने की उम्मीद है.

सुप्रीम कोर्ट ने NHAI को क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया (NHAI) से भी दिल्ली की सीमाओं से दूर स्थित अपने टोल प्लाजा पर जमा किए गए रेवेन्यू का एक हिस्सा MCD के साथ शेयर करने पर विचार करने को कहा, इससे MCD को अपने कुछ फाइनेंशियल नुकसान की भरपाई करने में मदद मिलेगी. MCD के टोल कलेक्शन से होने वाले ट्रैफिक जाम का मुद्दा असल में NHAI ने ही सुप्रीम कोर्ट के सामने उठाया था. NHAI ने दिल्ली-NCR प्रदूषण मामले की सुनवाई के दौरान यह मामला उठाया था.

MCD के वकील ने क्या तर्क दिया?

MCD के वकील ने तर्क दिया कि अपने खर्चों को पूरा करने के लिए टोल कलेक्शन जरूरी है. चीफ जस्टिस सूर्यकांत ने उन्हें फटकार लगाते हुए कहा कि आप रेवेन्यू के लिए कनॉट प्लेस में भी टोल कलेक्शन शुरू कर सकते हैं. लोग प्रदूषण से परेशान हैं. हमें जनता के हित के बारे में सोचना होगा. चीफ जस्टिस ने यह भी सुझाव दिया कि दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन को हर साल 1 अक्टूबर से 31 जनवरी तक टोल कलेक्शन बंद कर देना चाहिए. इसके कारण होने वाले फाइनेंशियल नुकसान की भरपाई के लिए एक प्लान बनाया जा सकता है.

सुप्रीम कोर्ट ने दिए ये निर्देश

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वह सिर्फ तुरंत के उपायों के बजाय लॉन्ग-टर्म समाधानों पर चर्चा करना चाहता है. कोर्ट ने कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) और NCR राज्यों (दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान) को इन पॉइंट्स पर काम करने का निर्देश दिया:

  • गाड़ियों के ट्रैफिक और पब्लिक ट्रांसपोर्ट का बेहतर मैनेजमेंट
  • इंडस्ट्रियल प्रदूषण में कमी और स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देना
  • किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए इंसेंटिव देना
  •  प्रदूषण के कारण कंस्ट्रक्शन गतिविधियों के बंद होने से प्रभावित मजदूरों को इनकम और वैकल्पिक रोजगार देना
  • घरेलू गतिविधियों से होने वाले प्रदूषण को कम करना
  • पेड़ लगाकर ग्रीन कवर बढ़ाना
  • जनता में जागरूकता बढ़ाना
  • कोई भी अन्य कदम जो CAQM जरूरी समझे

कोर्ट ने ये मांगे भी उठीं

कोर्ट के सामने कई मांगें रखी गईं, जिनमें क्रिसमस और नए साल के दौरान पटाखों पर बैन और प्रदूषण के कारण बंद किए गए स्कूलों को फिर से खोलना शामिल था. हालांकि, कोर्ट ने इन मामलों को कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) पर छोड़ दिया, यह कहते हुए कि वह लॉन्ग-टर्म समाधानों पर चर्चा करना चाहता है। इस मामले में अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी.

बुधवार (17 दिसंबर, 2025) को सुनवाई के दौरान, कुछ राज्यों ने कोर्ट को बताया कि कंस्ट्रक्शन के काम पर बैन से प्रभावित मजदूरों के खातों में सीधे पैसे ट्रांसफर किए जा रहे हैं. चीफ जस्टिस ने टिप्पणी की कि सीधे पैसे ट्रांसफर करना काफी नहीं है. मजदूरों का अक्सर शोषण होता है. जब पैसा उनके खातों में जमा होता है, तो उनसे ले लिया जाता है. सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मजदूर अपने खातों में जमा पैसे किस्तों में निकाल सकें. इससे उन्हें कुछ दिनों तक अपने खर्च मैनेज करने में मदद मिलेगी.  दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुईं एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि वह कोर्ट की चिंताओं को राज्यों तक पहुंचाएंगी.

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