Delhi-NCR pollution: दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुनाया है कि प्रदूषण रोकने के लिए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (Grap) लागू करने से केंद्र अपने कर्मचारियों को घर से काम करने की इजाज़त देने के लिए मजबूर नहीं होता, क्योंकि गाइडलाइंस सरकार को सिर्फ़ ऐसे इंतज़ाम की इजाज़त देने का अधिकार देती हैं.
जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने क्या कहा?
जस्टिस सचिन दत्ता की बेंच ने यह बात शुभम वर्मा की एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कही. शुभम वर्मा, सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ टेलीमैटिक्स (C-DOT) में एक “ई-साइंटिस्ट” हैं. C-DOT, भारत सरकार के टेलीकम्युनिकेशन डिपार्टमेंट के तहत काम करने वाली एक ऑटोनॉमस टेलीकम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट बॉडी है.
वर्मा ने याचिका में क्या कहा?
अपनी याचिका में, वर्मा ने कहा कि कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट (CAQM) ने 21 नवंबर, 2025 से दिल्ली के ऑफिसों में कम से कम 50% कर्मचारियों के लिए वर्क-फ्रॉम-होम ज़रूरी कर दिया था, लेकिन उनकी ऑर्गनाइज़ेशन इस निर्देश का पालन करने में नाकाम रही.वर्मा ने दावा किया कि उनके काम की जगह पर कंस्ट्रक्शन और तोड़-फोड़ की वजह से उन्हें मेडिकल दिक्कतें हुईं, और वर्क फ्रॉम होम के लिए अप्लाई करने के बावजूद, उन्हें कोई जवाब नहीं मिला.
पीठ ने अपने फैसले में क्या कहा?
पीठ ने अपने फैसले में कहा, “याचिकाकर्ता का यह तर्क कि वह उपरोक्त दिशानिर्देशों के अनुसार घर से काम करने का हकदार है, गलत है क्योंकि 21.11.2025 के उपरोक्त दिशानिर्देशों के पैराग्राफ 4(सी)(2) के अवलोकन से पता चलता है कि यह केंद्र सरकार पर अपने कर्मचारियों को घर से काम करने की सुविधा देने के लिए उचित निर्णय लेने का विवेकाधीन न कि अनिवार्य दायित्व डालता है.”