Story of Khooni Darwaza: मुगलों के जमाने से ही दिल्ली से लेकर आगरा तक कई ऐसी जगहें हैं जिन्हे देखने के लिए देश-विदेश से लोग आते हैं. कई ऐतिहासिक स्थल तो ऐसे हैं जिनका इतिहास काफी गहरा और अजीबोगरीब है. आज हम आपको एक ऐसे ही ऐतिहासिक स्थल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे जानकर आपके हाथ-पैर कांपने लगेंगे. भारत की राजधानी दिल्ली में ही एक ऐसी जगह है जिसका इतिहास हर कोई नहीं जानता और जो जान लेता है वो चौंक जाता है. दरअसल, हम बात कर रहे हैं दिल्ली के खूनी दरवाजे की. जी हां ये खूनी दरवाजा दिल्ली का एक ऐतिहासिक स्थल है. यह न केवल अपने ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि इससे जुड़ी एक डरावनी और रहस्यमयी कहानी भी है. यहां कई द्वार हैं, जैसे कश्मीरी गेट, अजमेरी गेट. इन्हीं में से एक है दिल्ली का ‘लाल दरवाज़ा’. लोग इसे ‘खूनी दरवाज़ा’ के नाम से भी जानते हैं.
इतिहास के पन्ने खून से सने
जैसा इस जगह का नाम है ‘खुनी दरवाजा’ वैसा ही यहां का नजारा है। जैसे ही सूरज ढलता है वैसे ही यहां लोगों को डर लगने लगता है. दिलचस्प बात ये है कि इतिहास में इस दरवाज़े से जुड़े कई डरावने किस्से दर्ज हैं. इतिहासकारों का कहना है कि मुगल बादशाह औरंगजेब ने अपने बड़े भाई दारा शिकोह का सिर काटकर इसी दरवाजे पर लटका दिया था। आज हम आपको इसी खूनी दरवाजे से जुड़ी कई रहस्यमयी बातें बताने वाले हैं.
बेहद डरावना है इतिहास
दरअसल, यह कहानी है वर्ष 1659 की, जब औरंगज़ेब ने दिल्ली पर कब्ज़ा करने के लिए अपने बड़े भाई दारा शिकोह का सिर कलम कर दिया और इस तरह भारत की गद्दी पर अपना अधिकार जमा लिया. दारा शिकोह का सिर काटने के बाद, औरंगज़ेब ने उसका कटा हुआ सिर इसी दरवाज़े पर लटका दिया था. लोगों का मानना है कि यहाँ लोगों के चीखने-चिल्लाने की आवाज़ें आती हैं. कहा जाता है कि यहां तीन राजकुमारियों की बेरहमी से हत्या भी कर दी गई थी. साथ ही, अंग्रेजों ने यहां कई स्वतंत्रता सेनानियों को भी मार डाला था, जिसकी वजह से उनकी आत्माएं भी यहां भटकती रहती हैं.