इससे सेहत पर क्या असर पड़ेगा?
दिल्ली के एक्वीफ़र्स में पाए गए सबसे खतरनाक टॉक्सिन्स में से एक, लेड, एक न्यूरोटॉक्सिन है जो बच्चों के कॉग्निटिव डेवलपमेंट को कम करता है, ब्लड प्रेशर बढ़ाता है, किडनी के काम पर असर डालता है और इसे संभावित ह्यूमन कार्सिनोजेन माना जाता है, जिससे कम कंसंट्रेशन भी असुरक्षित हो जाता है. रिपोर्ट के मुताबिक, प्री-मॉनसून सीज़न में भारत में लेड-कंटैमिनेटेड ग्राउंडवॉटर सैंपल्स का सबसे ज़्यादा हिस्सा दिल्ली में था 9.3% सैंपल्स ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैंडर्ड्स (BIS) की लिमिट्स से ज़्यादा थे, जो असम (3.23%) और राजस्थान (2.04%) से कहीं ज़्यादा था.
किडनी डैमेज का रिस्क हाई हो जाता है
रिपोर्ट में बताया गया है कि नाइट्रेट का ज़्यादा होना ज़्यादातर इंसानों की वजह से, खासकर खेती के तरीकों और गलत तरीके से कचरा फेंकने की वजह से था, जबकि फ्लोराइड का ज़्यादा कंसंट्रेशन ज़्यादातर जियोजेनिक (कुदरती तौर पर होने वाला) था, जो ग्रेनाइट और नीसिक फॉर्मेशन जैसे क्रिस्टलाइन और हार्ड रॉक एक्विफर में पानी-चट्टान के इंटरेक्शन से जुड़ा था.