क्या है पूरा मामला?
‘हिबाह’ के तहत दी गई प्रॉपर्टी पर दावा
महू में इस घर में रहने वाले अब्दुल मजीद (59) ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में कैंटोनमेंट बोर्ड के नोटिस को चुनौती देते हुए एक पिटीशन फाइल की है. मजीद ने पिटीशन में कहा है कि जवाद अहमद सिद्दीकी ने उनके पिता हम्माद अहमद की मौत के बाद 2021 में उन्हें ‘हिबाह’ के तहत प्रॉपर्टी दी थी. पिटीशनर ने मालिकाना हक का दावा किया: मजीद, जो खुद को किसान बताते हैं, ने पिटीशन में दलील दी है कि हिबानामा के आधार पर वह, यानी पिटीशनर, मालिक हैं.
बिना सुनवाई के नोटिस
30 साल पहले जारी किया गया था नोटिस
दोनों पक्षों की दलीलों पर विचार करने के बाद, जस्टिस प्रणय वर्मा ने कहा कि हालांकि पिटीशनर को पहले भी नोटिस जारी किए गए थे, लेकिन वे लगभग 30 साल पहले, 1996/1997 में जारी किए गए थे. नोटिस अब जारी किया गया है. सुनवाई का मौका दिया जाना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि अगर पिछले नोटिस के लगभग 30 साल बाद पिटीशनर के खिलाफ कोई कार्रवाई की जानी है, तो उसे सुनवाई का मौका दिया जाना चाहिए. इसलिए, मामले के मौजूदा तथ्यों को देखते हुए, पिटीशनर को निर्देश दिया जाता है कि वह 15 दिनों के अंदर रेस्पोंडेंट/सक्षम अथॉरिटी के सामने ज़रूरी डॉक्यूमेंट्स के साथ अपना जवाब फाइल करे.
सुनवाई पूरी होने तक कोई कार्रवाई नहीं. कोर्ट ने यह भी कहा कि पिटीशनर को सुनवाई का पूरा मौका दिया जाएगा। फिर एक रीज़निंग ऑर्डर जारी किया जाएगा. प्रोसेस पूरा होने तक पिटीशनर के खिलाफ कोई ज़बरदस्ती की कार्रवाई नहीं की जाएगी. कोर्ट ने साफ किया कि वह पिटीशन की मेरिट पर कोई राय दिए बिना उसका निपटारा कर रहा है.