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Ajmer Seven Wonders Demolition: स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत बनाए गए अजमेर के 7 अजूबे पार्क अब इतिहास बन चुके हैं. महज तीन साल पहले 12 करोड़ की लागत से खड़े किए गए ये आकर्षण आज जमींदोज किए जा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अजमेर विकास प्राधिकरण (ADA) ने कार्रवाई शुरू की, जिसके तहत शुक्रवार और शनिवार को सातों संरचनाओं को गिराने का सिलसिला चला.
क्या हैं पूरा मामला?
साल 2022 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इन अजूबों का लोकार्पण किया था। उद्देश्य था अजमेर को पर्यटन के नए नक्शे पर लाना और स्मार्ट सिटी का रंग-रूप निखारना. यहां ताजमहल, मिस्र का पिरामिड, पीसा की मीनार, एफिल टावर, रियो का क्राइस्ट द रिडीमर, रोम का कोलोसियम और स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की प्रतिकृतियां बनाई गईं. लेकिन शुरुआत से ही यह प्रोजेक्ट विवादों में रहा. स्थानीय संगठनों और पर्यावरणविदों ने आपत्ति जताई कि यह पूरा निर्माण आनासागर वेटलैंड क्षेत्र में हुआ है, जो जल निकाय और आर्द्र भूमि की श्रेणी में आता है.
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
लंबी कानूनी जद्दोजहद के बाद मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा. कोर्ट ने साफ कहा कि आपकी कार्यप्रणाली से ऐसा नहीं लगता कि आप अजमेर को स्मार्ट बनाना चाहते हैं. जल निकायों और आर्द्र भूमि पर अतिक्रमण करके कोई भी शहर स्मार्ट नहीं बन सकता. इसके बाद कोर्ट ने संरचनाओं को अवैध घोषित करते हुए हटाने का आदेश दिया.
विध्वंस की शुरुआत
कार्रवाई का पहला चरण शुक्रवार सुबह 11 बजे शुरू हुआ और रात 12 बजे तक चला. सबसे पहले रोम का कोलोसियम तोड़ा गया. फिर एफिल टावर को काटा गया. रियो के क्राइस्ट द रिडीमर को सुरक्षित उतारकर हटाया गया. करीब 12 घंटे चली इस कार्रवाई में तीन अजूबे खत्म हो गए. शनिवार सुबह टीम ने मिस्र के पिरामिड पर बुलडोजर चलाया. यह संरचना विशाल थी, जिसे पूरी तरह तोड़ने में सात घंटे लगे। दोपहर तक ताजमहल और पीसा की मीनार पर भी कार्रवाई शुरू कर दी गई. पूरे अभियान में प्रशासन ने मीडिया से दूरी बनाए रखी. केवल आधिकारिक प्रेस नोट के जरिए जानकारी साझा की गई. सूत्रों के अनुसार, सुरक्षा कारणों और भीड़ जुटने की आशंका को देखते हुए ऐसा किया गया.