Bihar Politics: राबड़ी देवी और लालू यादव (Rabri Devi-Lalu Yadav) 10 सर्कुलर रोड़ वाले सरकारी बंगले में पिछले करीब 19 सालों से रह रहे हैं. दोनों इस घर को खाली करने के लिए राजी नहीं हैं. लेकिन इसके लिए सरकार की तरफ से नोटिस जारी कर दिया गया है. उन्हें आवंटित हार्डिंग रोड वाले नए बंगले में शिफ्ट होना होगा.
लालू-राबड़ी को खाली करना होगा सरकारी आवास
10 सर्कुलर रोड वाला पुराना बंगला लालू-राबड़ी को न चाहते हुए भी खाली करना ही पड़ेगा. सिर्फ इतना ही नहीं उन्हें जल्द ही नए बंगले 39 हार्डिंग रोड को भी खाली करना पड़ेगा. इसका कारण न बिहार की सरकार है और न सीएम नीतीश कुमार. उनके बेघर होने का कारण तो खुद उनका बेटा तेजस्वी यादव हैं. उनके दो फैसलों ने माता-पिता को रोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है.
तेजस्वी के कारण बेघर हुए लालू-रबड़ी
बता दें कि 10 सर्कुलर रोड वाले बंगले में लालू-राबड़ी पिछले 19 साल से वास कर रहे हैं. लालू की बिगड़ती तबीयत को देखते हुए यहां उनके लिए लिफ्ट की भी व्यवस्था की गई थी. अब यह घर उन्हें खाली करना पड़ा रहा है. इसके पीछे का कारण है कि, जब नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने तो पटना के मुख्यमंत्री आवास एक अणे मार्ग को राबड़ी देवी को खाली करना पड़ा था. उसी दौरान नीतीश कुमार ने फैसला किया था, कि बिहार के जो भी पूर्व मुख्यमंत्री होंगे उन्हें सरकारी आवास दिया जाएगा. कानूनों में बदलाव के बाद राबड़ी को 10 सर्कुलर रोड वाला बंगला रहने के लिए दिया गया.
सरकारी बंगले पर सियासी संग्राम
साल 2015 में महागठबंधन की सरकार में तेजस्वी यादव उपमुख्यमंत्री बने, तो पूरी कहानी बदल गई. तेजस्वी यादव को देशरत्न मार्ग पर बंगला आवंटित किया गया. लेकिन नीतीश के पाला बदलने के बाद भाजपा की तरफ से तेजस्वी की जगह सुशील कुमार मोदी बन गए. जिसके बाद तेजस्वी को बंगला खाली करने के लिए नोटिस दिया गया. लेकिन तेजस्वी ने बंगला खाली करने की बजाए अदालत जाना बेहतर समझा. उन्होंने कोर्ट में याचिका दर्ज कर कहा कि घर को लेकर साफ-साफ नियम-कानून होने ही चाहिए. जिसके बाद कोर्ट ने अपने फैसले में तेजस्वी यादव को बंगला खाली करने का आदेश दिया. साथ ही पूर्व मुख्यमंत्रियों को बंगला देना और दूसरी सुविधाएं देना असंवैधानिक करार दिया. लेकिन फैसला आने के 6 साल बाद भी रबड़ी देवी और लालू यादव से बंगला खाली नहीं कराया गया है. लेकिन अब सियासी समीकरण बदल चुके हैं. एक बार फिर राजनीति में बंगले को लेकर सियासी संग्राम शुरु हो गया है.