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बनारस में चलेगी वाटर टैक्सी, ना धुआं छोड़ेगी और न आवाज करेगी; फटाफट जान लें किराया

वाराणसी में हाइड्रोजन से चलने वाली वॉटर टैक्सी की शुरुआत हो गई है. ये वाटर टैक्सियां हाइब्रिड सिस्टम पर आधारित हैं, यानी मुख्य रूप से हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलती हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर इलेक्ट्रिक मोड पर भी ऑपरेट की जा सकती हैं.

Written By: Shivangi Shukla
Last Updated: December 11, 2025 15:26:00 IST

Hydrogen Water Taxi: मोक्ष की नगरी वाराणसी में परिवहन के क्षेत्र में एक नई क्रांति होने जा रही है. यहां पर हाइड्रोजन से चलने वाली वॉटर टैक्सी की शुरुआत हो गई है, जो पर्यटन और स्वच्छ पर्यावरण का अनूठा संगम बनेंगी. 
वाराणसी में हाइड्रोजन वॉटर टैक्सी की शुरुआत गंगा पर स्वच्छ, आधुनिक और स्थायी जल परिवहन की दिशा में एक बड़ी छलांग मानी जा रही है. यह परियोजना धार्मिक नगरी काशी की आध्यात्मिक पहचान को ग्रीन टेक्नोलॉजी के साथ जोड़ते हुए देश के लिए एक नया मॉडल प्रस्तुत करती है.

हाइड्रोजन वॉटर टैक्सी क्या है?

हाइड्रोजन वॉटर टैक्सी एक ऐसी नाव है जो डीज़ल की जगह हाइड्रोजन फ्यूल सेल और इलेक्ट्रिक मोटर से चलती है, यानी इसके संचालन के दौरान धुआं, कार्बन या जहरीली गैसें लगभग नहीं निकलतीं. फ्यूल सेल में हाइड्रोजन गैस ऑक्सीजन के साथ अभिक्रिया करके बिजली पैदा करती है, यही बिजली मोटर को चलाती है और उप-उत्पाद के रूप में केवल पानी बनता है, जो इसे ज़ीरो-एमिशन तकनीक बनाता है.

वाराणसी में कहां और कैसे चलेगी?

देश की पहली हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित जलयान/वॉटर टैक्सी का संचालन वाराणसी के नमो घाट से शुरू किया गया है, जहां से यह रविदास घाट तक नियमित सेवा देगी और आगे अन्य घाटों तक विस्तार की योजना है. प्रारंभिक चरण में दो वॉटर टैक्सियां चलाई जा रही हैं, जिनमें हर एक में लगभग 50 यात्री बैठ सकेंगे, इससे सड़क यातायात पर दबाव घटेगा और घाटों के बीच कनेक्टिविटी बेहतर होगी. 

तकनीक और सुविधाएं

ये वॉटर टैक्सियां हाइब्रिड सिस्टम पर आधारित हैं, यानी मुख्य रूप से हाइड्रोजन फ्यूल सेल से चलती हैं, लेकिन जरूरत पड़ने पर इलेक्ट्रिक मोड पर भी ऑपरेट की जा सकती हैं, जिससे विश्वसनीयता बढ़ती है. नावों में आरामदायक एयर-कंडीशंड केबिन, सुरक्षित बैठने की व्यवस्था, सीसीटीवी, बायो-टॉयलेट और ऑनबोर्ड जानकारी के लिए स्क्रीन जैसी सुविधाएं दी गई हैं, ताकि यात्रियों को आधुनिक और आरामदायक अनुभव मिल सके.

किराया, रूट और स्टेशन

वाराणसी में हाइड्रोजन वॉटर टैक्सी, मुख्य रूप से नमो घाट से रविदास घाट के बीच परिचालन में है और प्रति यात्री लगभग 500 रुपये के किराए की सूचना दी गई है, जिसमें यात्रा के दौरान शाकाहारी जलपान की सुविधा भी शामिल है.
हाइड्रोजन रीफ्यूलिंग और चार्जिंग के लिए अलग-अलग घाटों पर स्टेशन विकसित किए जा रहे हैं, जिनसे नावों की लगातार और सुरक्षित सेवा सुनिश्चित हो सकेगी और भविष्य में अन्य रूटों पर विस्तार आसान होगा.

पर्यावरणीय और आर्थिक महत्व

हाइड्रोजन वॉटर टैक्सी गंगा के जल और काशी के वायु पर्यावरण दोनों के लिए लाभकारी है, क्योंकि पारंपरिक डीज़ल नावों की तुलना में इससे ध्वनि और वायु प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी आती है. यह परियोजना “हरित नौका” और “पीएम गति शक्ति” जैसी पहलों के साथ जुड़कर न केवल पर्यटन को बढ़ावा देती है, बल्कि जलमार्ग आधारित परिवहन, स्थानीय रोजगार और हरित तकनीक के विकास के नए अवसर भी खोलती है.

भविष्य की संभावनाएं

यदि वाराणसी में यह मॉडल सफल रहता है, तो इसी तरह की हाइड्रोजन वॉटर टैक्सियों को अन्य नदियों और शहरों में भी लागू करने की योजना पर विचार किया जा रहा है, जिससे देशभर में स्वच्छ जल परिवहन नेटवर्क विकसित हो सकेगा. लंबी अवधि में यह पहल हाइड्रोजन फ्यूल सेल तकनीक के स्वदेशी विकास, उससे जुड़े उद्योगों और कौशल-सृजन को भी गति दे सकती है, जिससे भारत को ग्रीन हाइड्रोजन और क्लीन ट्रांसपोर्ट के वैश्विक केंद्र के रूप में स्थापित करने में मदद मिलेगी. 

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