Ram Mandir Dhwajarohan 2025: अयोध्या (Ayodhya) के राम मंदिर (PM Modi) में 25 नवंबर, 2025 को भव्य ध्वजारोहण समारोह हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और देश भर की प्रमुख हस्तियों ने इस समारोह में शिरकत की. पीएम मोदी ने मंदिर के शिखर पर भगवा ध्वज फहराया. इस ध्वज में तीन चिन्ह बने हुए हैं. जो सूर्यवंश का अहम प्रतीक हैं: कोविदार वृक्ष, ऊँ और सुर्य का प्रतीक. आज हम आपको कोविदार वृक्ष के बारे में बताने जा रहे हैं.
वैदिक विज्ञान से गहरा संबंध
कोविदार वृक्ष का वैदिक विज्ञान से काफी ज्यादा गहरा संबंध है. इनका जिक्र भारत के पौराणिक कथाओं में भी मिलता है. रामायण के अयोध्या कांड के 84वें सर्ग और 96वें सर्ग में इसका जिक्र किया गया है. महाकवि कालिदास ने भी अपनी‘ऋतुसंहार‘ में कोविदार का जिक्र किया है.
महर्षि कश्यप ने भी किया जिक्र
जानकारी के मुताबिक, हरिवंश पुराण में महर्षि कश्यप ने बताया कि पारिजात के पौधे में मंदार के गुण मिलाकर इसे तैयार किया जाता है. हो सकता है कि यह पहला हाइब्रिड प्लांट था. कोविदार का पेड़ आज भी पाया जाता है. इस वृक्ष में बैगनी रंग के फूल होते हैं. यह कचनार के फूल की तरह नजर आते हैं. इस पेड़ का फल काफी ज्यदा स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है. राम मंदिर बनने के बाद से इस पेड़ को काफी ज्यादा महत्व मिलता है. यह आने वाले एक नए युग को संकेत दे रहा है.
सनातन का प्रतीक
उत्तर प्रदेश संस्कृति विभाग के अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक डॉ. लवकुश द्विवेदी के आदेश पर ललित मिश्रा ने देशभर में वाल्मीकि रामायण पर बने चित्रों का बारीकी से अध्ययन किया. ललित के मुताबिक, भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा में 24 सलाकाएं हैं, उसी तरह त्रेता युद में अयोध्या साम्राज्य का यह प्रतीक था.
कचनार की तरह दिखता है वृक्ष
ललित आगे बताते हैं कि वनस्पति शास्त्र में कचनार को ही कोविदार बताया गया है. लेकिन यह बिल्कुल गलत है. सरकार को भी इस गलती को सुधारने का प्रस्ताव भेज दिया गया है.
मंदिर परिसर में लगाए गए कोविदार वृक्ष
राम मंदिर में कोविदार वृक्ष प्राण प्रतिष्ठा के समय ही लगा दिए गए थे. यह लगभग अब 8 फुट के करीब हो चुके हैं. ध्वाजारोहण के साथ इसके दर्शन भी किए जाएंगे.