Sonbhadara Mine Accident: सोनभद्र के ओबरा थाना क्षेत्र में रविवार देर शाम कृष्णा माइनिंग की खदान में अचानक भारी चट्टान धंस गई. चट्टान का वजन इतना ज्यादा था कि देखते ही देखते पूरा हिस्सा ढह गया और कई मजदूर उसके नीचे दब गए. हादसा कुछ ही सेकंड में भयावह रूप ले चुका था. पूरे इलाके में अफरा-तफरी और चीख-पुकार मच गई.घटनास्थल पर बचाव टीमें तुरंत जुट गईं.
रेस्क्यू टीम के सामने रहीं बड़ी चुनौतियां
72 घंटे के रेस्क्यू ऑपरेशन में NDRF, SDRF, CISF, अल्ट्राटेक डाला, माइनिंग एक्सपर्ट्स और लोकल एडमिनिस्ट्रेशन की जॉइंट टीमें शामिल थीं. बचाव कार्य के दौरान करीब 70–75 टन की विशाल चट्टान मलबे के बीच सबसे बड़ी चुनौती बनकर खड़ी रही. इसी वजह से बचाव कार्य बेहद धीमी गति से आगे बढ़ पाया. NDRF और SDRF की टीमें लगातार 72 घंटे तक भारी मशीनों की मदद से चट्टान हटाने का प्रयास करती रहीं.
माइन की बहुत ज़्यादा गहराई, लगातार खिसकती मिट्टी, टूटी चट्टानें और खराब मौसम की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन बहुत मुश्किल हो गया था. 72 घंटे चले इस ऑपरेशन में NDRF, SDRF, CISF, अल्ट्राटेक डाला की टीमें, खनन विशेषज्ञ और स्थानीय प्रशासन संयुक्त रूप से जुटा रहा.
बचाव कार्य के दौरान उन्हें कई गंभीर मुश्किलों से जूझना पड़ा:
- खदान की अत्यधिक गहराई
- मलबे में लगातार खिसकती मिट्टी
- टूटकर गिरती चट्टानें
- रात और सुबह के समय घना कोहरा, नमी और बेहद कम दृश्यता
‘मलबे में अब कोई मजदूर नहीं बचा’
डीएम बी.एन. सिंह ने बताया कि तकनीकी विशेषज्ञों की टीम ने व्यापक निरीक्षण, ग्राउंड असेसमेंट, मलबे की परतों की स्कैनिंग और ड्रोन सर्विलांस के बाद यह निष्कर्ष निकाला है कि अंदर अब कोई और व्यक्ति फंसा नहीं है. सोमवार देर रात तक 6 मजदूरों के शव निकाले गए थे, वहीं मंगलवार, 18 नवंबर को एक और शव बरामद हुआ. अब तक 7 मजदूरों की मौत की आधिकारिक पुष्टि की जा चुकी है. उन्होंने कहा, ‘तीन दिन की लगातार खुदाई, मैनुअल सर्चिंग और तकनीकी जांच में किसी अतिरिक्त शव या किसी तरह की मानवीय गतिविधि का संकेत नहीं मिला. इसी आधार पर रेस्क्यू ऑपरेशन को बंद किया गया है.
सख्त कानूनी कार्रवाई होगी
सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस अभिषेक वर्मा ने कहा कि हादसे की जांच तेज़ी से आगे बढ़ रही है. पुलिस ने माइन ऑपरेशन से जुड़े डॉक्यूमेंट्स, सेफ्टी परमिट, एक्सप्लोसिव इस्तेमाल से जुड़े रिकॉर्ड, काम की जगह का स्ट्रक्चर और घटना से पहले की एक्टिविटीज़ की डिटेल्ड टेक्निकल स्टडी शुरू कर दी है. हालांकि, अभी तक किसी भी सस्पेक्ट को अरेस्ट नहीं किया गया है. सुपरिटेंडेंट ऑफ़ पुलिस ने साफ किया कि जैसे ही जांच में ज़िम्मेदारी या लापरवाही का पता चलेगा, उनके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
सभी मजदूरों की पहचान
सात मजदूरों के शवों की पहचान हो गई है. सातों मृतक मजदूरों के शवों की पहचान होने के बाद, प्रशासन ने उन्हें उनके परिवारों को सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी है. मृतकों के परिवार दुखी हैं, और गांव वाले डर और गुस्सा दोनों दिखा रहे हैं. डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट ने भरोसा दिलाया कि सरकार मृतकों के आश्रितों को हर मुमकिन मदद और मुआवजा देगी.
20 लाख रुपये की मिलेगी मदद
हादसे की जांच पुलिस, माइनिंग डिपार्टमेंट और डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन इन तीन लेवल पर की जाएगी. अगर गैर-कानूनी माइनिंग या स्टैंडर्ड्स का उल्लंघन पाया जाता है, तो जिम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त एक्शन लिया जाएगा. मंत्री जायसवाल ने कहा कि सरकार अलग-अलग सोर्स से मरने वालों के परिवारों को करीब 20 लाख रुपये की फाइनेंशियल मदद देगी.और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने सोनभद्र के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट पर गैर-कानूनी माइनिंग के खिलाफ समय पर रिपोर्ट न देने पर ₹10,000 का जुर्माना लगाया है.