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Population Control : जनसंख्या नियंत्रण पर कानून बनाना सरकार का काम, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : November 18, 2022, 5:31 pm IST

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रभावी क़ानून लाए जाने की मांग वाली याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। कोर्ट में दायर याचिकाओं में लॉ कमीशन को इसके लिए विस्तृत नीति तैयार करने की मांग भी की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने जनसंख्या नियंत्रण पर दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि इस पर नीति बनाना कोर्ट का काम नहीं है बल्कि सरकार का है । कोर्ट ने कहा ‘ये नीतिगत मसला है, अगर सरकार को ज़रूरत लगेगी तो सरकार फैसला लेगी।’

याचिकाकर्ता की याचिका पर कोर्ट का जवाब

आपको बता दें, आज जनसंख्या नियंत्रण का मामला जस्टिस सजंय किशन कौल और जस्टिस ए एस ओक की बेंच के सामने प्रस्तुत हुआ। अश्विनी उपाध्याय ने मांग कि कोर्ट कम से कम लॉ कमीशन को रिपोर्ट तैयार करने को कहे। हमारे पास जमीन मात्र 2 प्रतिशत और पानी मात्र 4 प्रतिशत है और विश्व की जनसंख्या 20 प्रतिशत हो चुकी है। जस्टिस कौल ने कहा कि इस पर दखल देना कोर्ट का काम नहीं है। वैसे हमने पढ़ा है कि देश में जनसंख्या बढ़ोतरी लगातार घट रही है,यह अगले 10-20 सालों में स्थिर हो जाएगी। हम एक दिन में जनंसख्या नियंत्रण नहीं कर सकते। जानकारी हो, कोर्ट की और से ये भी कहा गया अगर सरकार को कोई कदम उठाने की ज़रूरत लगे है तो वो फैसला ले सकती है। सुनवाई के दौरान कोर्ट के इस बयान पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि जितना सरकार कर सकती है, उतनी कोशिशें सरकार जनंसख्या नियंत्रण के लिए कर रही है।

परिवार नियोजन पर सरकार का जवाब

आपको बता दें,इससे पहले केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया था। इसमें कहा गया कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए लोगों को एक निश्चित संख्या में बच्चे रखने के लिए मज़बूर नहीं कर सकती। देश में परिवार नियोजन एक स्वैच्छिक कार्यक्रम है। यहां अभिभावक बिना किसी प्रतिबंध के ख़ुद तय करते है कि उनके लिए कितने बच्चे सही रहेंगे,लिहाजा परिवार नियोजन को अनिवार्य बनाना सही नहीं होगा दूसरे देशों के अनुभव कहते है कि इस तरह के प्रतिबंधो का ग़लत ही असर हुआ है।

कोर्ट में जनसंख्या नियंत्रण पर इनकी ओर से डाली गई याचिकाएं

आपको बता दें, जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर अश्विनी उपाध्याय के अलावा धर्म गुरु देवकी नंदन ठाकुर, स्वामी जितेन्द्रनाथ सरस्वती और मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, हैदराबाद के पूर्व वाइस चांसलर फिरोज़ बख्त अहमद ने जनंसख्या नियंत्रण के लिए क़ानून बनाये जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इनकी याचिकाओं में कहा गया था कि बढ़ती जनसंख्या के कारण सरकार सभी को रोजगार, भोजन, आवास जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पा रही है।

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