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Himachal Weather Report: भारी स्नोफॉल से सेब की फसलों पर बढ़ा खतरा! बदलते मौसम ने बढ़ाई बागबानों की चिंता  India News (इंडिया न्यूज), Himachal Weather Report:  हिमाचल प्रदेश में इस बार मौसम के अप्रत्याशित बदलाव से सेब बागबानों की चिंता बढ़ गई है। बढ़ते तापमान के कारण सेब के पौधों में समय से पहले ही कोंपलें फूटने लगी हैं, जो कि फसल के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, जब सेब के पौधे पर कोंपलें जल्दी फूटती हैं, तो पौधा तनाव में आ जाता है और बीमारियों से लड़ने की उसकी क्षमता कम हो जाती है।  डॉ. एसपी भारद्वाज ने बताया   इस मौसम में तापमान सामान्य से अधिक बढ़ चुका है, जिससे पहले से ही मार्च में कोंपलें फूटने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। विशेषकर शिमला के ठियोग, कोटखाई और मंडी के निचले क्षेत्रों में इस समस्या ने गंभीर रूप लिया है। इसके परिणामस्वरूप, पौधों में चिलिंग आवर्स (सर्दी की आवश्यक अवधि) की प्रक्रिया भी टूट रही है, जो सेब की सही वृद्धि के लिए जरूरी होती है।  बागवानी विशेषज्ञ डॉ. एसपी भारद्वाज के अनुसार, इस स्थिति में पौधों में रस का संचार तेज हो जाता है, जिससे कोंपलें जल्दी अंकुरित होती हैं, जो बाद में मृत हो सकती हैं। यह स्थिति सेब की गुणवत्ता और पैदावार को प्रभावित कर सकती है। उन्होंने बागबानों को सलाह दी है कि वे सेब के पौधों की प्रूनिंग और तौलियों से छेड़छाड़ से बचें।  IMD डिपार्टमेंट का मानना है   मौसम विभाग का मानना है कि आने वाले दिनों में तापमान में गिरावट हो सकती है, जिससे सेब के पौधे सुप्तावस्था में चले जाएंगे और चिलिंग आवर्स की प्रक्रिया फिर से शुरू हो सकती है। इस गिरावट से सेब की फसल को कुछ राहत मिल सकती है। हालांकि, इन अनियमित मौसम परिस्थितियों ने हिमाचल प्रदेश के सेब बागबानों के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं, और उन्हें उम्मीद है कि मौसम की स्थिति जल्द सामान्य होगी।
Himachal Weather Report: भारी स्नोफॉल से सेब की फसलों पर बढ़ा खतरा! बदलते मौसम ने बढ़ाई बागबानों की चिंता India News (इंडिया न्यूज), Himachal Weather Report: हिमाचल प्रदेश में इस बार मौसम के अप्रत्याशित बदलाव से सेब बागबानों की चिंता बढ़ गई है। बढ़ते तापमान के कारण सेब के पौधों में समय से पहले ही कोंपलें फूटने लगी हैं, जो कि फसल के लिए खतरनाक साबित हो सकती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, जब सेब के पौधे पर कोंपलें जल्दी फूटती हैं, तो पौधा तनाव में आ जाता है और बीमारियों से लड़ने की उसकी क्षमता कम हो जाती है। डॉ. एसपी भारद्वाज ने बताया इस मौसम में तापमान सामान्य से अधिक बढ़ चुका है, जिससे पहले से ही मार्च में कोंपलें फूटने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। विशेषकर शिमला के ठियोग, कोटखाई और मंडी के निचले क्षेत्रों में इस समस्या ने गंभीर रूप लिया है। इसके परिणामस्वरूप, पौधों में चिलिंग आवर्स (सर्दी की आवश्यक अवधि) की प्रक्रिया भी टूट रही है, जो सेब की सही वृद्धि के लिए जरूरी होती है। बागवानी विशेषज्ञ डॉ. एसपी भारद्वाज के अनुसार, इस स्थिति में पौधों में रस का संचार तेज हो जाता है, जिससे कोंपलें जल्दी अंकुरित होती हैं, जो बाद में मृत हो सकती हैं। यह स्थिति सेब की गुणवत्ता और पैदावार को प्रभावित कर सकती है। उन्होंने बागबानों को सलाह दी है कि वे सेब के पौधों की प्रूनिंग और तौलियों से छेड़छाड़ से बचें। IMD डिपार्टमेंट का मानना है मौसम विभाग का मानना है कि आने वाले दिनों में तापमान में गिरावट हो सकती है, जिससे सेब के पौधे सुप्तावस्था में चले जाएंगे और चिलिंग आवर्स की प्रक्रिया फिर से शुरू हो सकती है। इस गिरावट से सेब की फसल को कुछ राहत मिल सकती है। हालांकि, इन अनियमित मौसम परिस्थितियों ने हिमाचल प्रदेश के सेब बागबानों के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर दी हैं, और उन्हें उम्मीद है कि मौसम की स्थिति जल्द सामान्य होगी।
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