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इस वक्त मध्यप्रदेश के इंदौर में 17वीं प्रवासी भारतीय दिवस का कार्यक्रम चल रहा है। आमतौर पर खबरों के बारे में हम सिर्फ पढ़ लेते है या देख लेते है, लेकिन इसके अलावा ज्यादा कुछ नहीं जानते। आज हम आपको बताते है की प्रवासी भारतीय दिवस क्या है और इसे क्यों मनाया जाता है।
क्या है प्रवासी भारतीय दिवस ?
जैसा की नाम से पता चल रहा है की यह कार्यक्रम उन लोगों के लिए है जो भारत के हैं, लेकिन भारत से बाहर रहते है और वहीं काम करते है। दरअसल राष्ट्रपिता महात्मा गांधी 1893 में वकालत की पढ़ाई करने दक्षिण अफ्रीका गए थे और 45 साल के बाद बैरिस्टर (वकील) बन भारत वापस लौटे थे। वह 9 जनवरी 1915 भारत वापस आए थे। इसके बाद ही उन्होंने भारत में आजादी की लड़ाई शुरु की थी। माहत्मा गांधी के वापीस भारत लौटने की याद में ही प्रवासी भारतीय दिवस मानाया जाता है। इस दिन को चिह्नित करने के लिए वर्ष 2003 से प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) मनाने की परंपरा शुरू हुई थी। पहले ये हर साल मनाया जाता था लेकिन वर्ष 2015 से, एक संशोधित प्रारूप के तहत, पीबीडी कन्वेंशन हर 2 साल में एक बार आयोजित किया गया है।
क्यों मानाया जाता है प्रवासी भारतीय दिवस ?
प्रवासी भारतीय दिवस भारतीय डायस्पोरा के साथ भारत के संबंधों को गहरा करने के लिए मनाया जाता है। यह भारत के साथ संबंधों को ताज़ा करना, ऊर्जा को बढ़ावा देना और इसमें ज्यादा पहलू लाने के लिए मनाया जाता है। अभी तक 16 प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का आयोजन किया जा चुका है।16वें पीबीडी को महामारी के दौरान 2021 में “आत्मनिर्भर भारत में योगदान” थीम के साथ ऑनलाइन आयोजित किया गया था। इस साल 2023 में यह सम्मेलन मध्यप्रदेश और भारत के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में 8 से 10 जनवरी के बीच आयोजित किया गया है। लगभग 70 देशों के करीब 3,500 सदस्यों ने कन्वेंशन के लिए पंजीकरण कराया है। इस दौरान सुरक्षित, कानूनी, व्यवस्थित और कुशल प्रवासन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए एक स्मारक डाक टिकट ‘सुरक्षित जाएं, प्रशिक्षित जाएं’ (‘Surakshit Jaayen, Prashikshit Jaayen’ ) को भी जारी किया गया।
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