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इंडिया न्यूज, नई दिल्ली, (2002 Gujarat Riots): सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के गुजरात दंगों को लेकर मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस यूयू ललित की अगुवाई वाली तीन जजों की पीठ ने नौ में से आठ बड़े मामलों को बंद करने का आदेश दिया। गौरतलब है कि इन सभी मामलों से जुड़ी कई याचिकाएं शीर्ष अदालत में लंबित थीं।
पीठ ने मंगलवार को सुनवाई के दौरान कहा कि इतना लंबा समय गुजरने के बाद दंगों को लेकर दायर कई याचिकाओं पर सुनवाई करने का अब कोई मतलब नहीं रह गया है और ऐसे में उन पर कार्यवाही को बंद किया जा रहा है। पीठ ने कहा कि गुजरात दंगों से जुड़े 9 में से 8 मामलों में निचली अदालतें अपना फैसला दे चुकी हैं। केवल नारोदा गांव से जुड़े मामले की अभी सुनवाई जारी है। ऐसी स्थिति में इससे जुड़े किसी भी मामले पर अलग से सुनवाई की जरूरत नहीं है।
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एनएचआरसी, एनजीओ सिटीजन फॉर जस्टिस एंड पीस व दंगा पीड़ित परिवारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की थी। इन याचिकाओं पर सुनवाई कर सुप्रीम कोर्ट ने मामले बंद करने का आदेश दिए। याचिकाओं में पुलिस के बजाय सीबीआई को सभी मामले ट्रांसफर करने की मांग की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि गुजरात दंगा 2002 से जुड़ी याचिकाओं को आगे सुनने की कोई आवश्यकता नहं है, इसलिए हम सभी मामले बंद करने का आदेश दे रहे हैं।
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दंगाइयों ने गुजरात के गोधरा स्टेशन पर 27 फरवरी 2002 को साबरमती एक्सप्रेस ट्रेन के एस-6 डिब्बे को आग के हवाले कर दिया था। इससे 59 लोग मारे गए थे। इस वारदात का शिकार हुए सभी लोग अयोध्या से लौट रहे कारसेवक थे। इसी वारदात के बाद राज्य में सांप्रदायिक दंगे हुए थे। ट्रेन की बोगी जलाए जाने के बाद गोधरा में सभी स्कूल व दुकानें बंद करके कर्फ्यू लागू कर दिया। इसी के साथ पुलिस को दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए गए थे।
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