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Earthquake: चंद्रग्रहण के बाद से मुश्किल से हफ्ते भर में उत्तर भारत में भूकंप के कई झटके महसूस किए जा चुके हैं। वहीं, हाल ही में अमृतसर के आसपास भूकंप महसूस किया गया। हालांकि इसकी तीव्रता बहुत कम मापी गई थी लेकिन जिस तरह बार-बार भूकंप के झटके उत्तर भारत में आ रहे हैं, वो क्या किसी बड़े भूकंप का संकेत दे रहे हैं? वैसे भूकंप से केवल उत्तर भारत की ही जमीन नहीं हिली है बल्कि नार्थ ईस्ट में अरुणाचल में भी हाल में ऐसा ही हुआ है।
आपको बता दें कि वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि हिमालय क्षेत्र में एक भूकंप आने का खतरा मंडरा रहा है जो बड़े इलाके पर असर डाल सकता है। वैसी स्थिति में जान-माल का नुकसान न्यूनतम करने के लिए पहले से बेहतर तैयारी जरूरी है। आईआईटी कानपुर के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रोफेसरों ने भी भविष्य में एक बड़े भूकंप के आने की आशंका जताई है। उनका कहना है कि धरती के नीचे भारतीय प्लेट व यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव बढ़ रहा है।
वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून के वैज्ञानिकों के मुताबिक, हिंदुकुश पर्वत से पूर्वोत्तर भारत तक का हिमालयी क्षेत्र भूकंप के प्रति बेहद संवेदनशील है। विशेषज्ञों का कहना है कि हिमालय क्षेत्र में भूगर्भीय ऊर्जा और नए भूस्खलन जोन बन रहे हैं, जो भूकंप की आहट देते हैं।
भूकंप पर नजर रखने वाली अमेरिकी साइट यूएसजीएस के मुताबिक 13 नवंबर से लेकर 14 नवंबर के शुरुआती घंटों तक करीब 44 भूकंप दुनियाभर में आए है। जिसमें सबसे ज्यादा तीव्रता का भूकंप 6.1 जापान के आसपास था। वैसे जापान और फिजी के आसपास के इलाकों में भूकंप खूब आते हैं।
ये अमेरिकन साइट बताती है कि दुनियाभर में रोज तकरीबन 55 भूकंप आते हैं लेकिन इनमें से ज्यादा हल्के ही होते हैं। जिनकी तीव्रता 5.0 के आसपास होती है। रोज 03 से 04 भूकंप 6 से ज्यादा तीव्रता के भी होते हैं।
इसके साथ ही कामकैट अर्थक्वेक कैटेलॉग कहता है कि हाल के बरसों में भूकंप की संख्या बढ़ी है, इसकी वजह ये भी है कि दुनियाभर में भूकंप को आंकने के संवेदनशील उपकरण बढ़ रहे हैं। वो कहीं ज्यादा समय से भूकंप को आंक रहें हैं, लिहाजा इनकी संख्या लगातार बढ़ रही है।
अमेरिका में साल 2020 में जनवरी में एक के बाद एक आए दो भूकंप के झटकों के बाद के बर्कले की भूकंप विज्ञान प्रयोगशाला की तरफ से कहा गया था, “इस तरह के छोटे-छोटे झटकों के आधार पर पुख्ता तौर पर ये नहीं कहा जा सकता है कि कोई बड़ा झटका आने वाला है। अब तक ऐसे छोटे-छोटे झटकों की श्रृंखलाओं के बाद किसी बड़े झटके का कोई प्रमाणिक उदाहरण नहीं मिलता है।”
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