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नई दिल्ली :- इन दिनों कांग्रेस पार्टी भारत जोड़ो यात्रा पर है.भारत जोड़ो यात्रा को अब एक महीने से ज्यादा का समय हो चुका है, लेकिन ऐसे में क्या वाक़ई कांग्रेस का ये स्लोगन, ये लम्बी यात्रा कामगार साबित हो रही है या नहीं ये हम आपको बताएँगे।
चलिए सबसे पहले हम राहुल गाँधी के उस बयान पर नज़र डालते हैं जो भारत जोड़ो यात्रा के एक महीने पूरे होने के बाद राहुल गाँधी ने कही.
जब आप सड़क पर चल रहे होते हैं
तो संवाद बहुत बेहतर होता है,
मैं जब लोगों से बात करता हूँ
तो उनकी पीड़ा को समझना चाहता हूँ
-राहुल गाँधी
कर्नाटक के थुरूवेकेरे में पत्रकारों से बातचीत के दौरान राहुल गांधी ने ये बातें कही.राहुल गांधी ने कहा कि ” मीडिया ने मुझे ग़लत और असत्य तरीके से दिखाने के प्रयास में हज़ारों करोड़ रुपए और अपनी ज़रूरत से ज़्यादा ऊर्जा ख़र्च की है.’ये मशीन अपना काम करती रहेगी. ये एक बहुत व्यवस्थित और वित्तीय रूप से मज़बूत मशीन है. पर मेरा सच अलग है. ये सच हमेशा से अलग ही था. और जो लोग ध्यान से देखने की फ़िक्र करते हैं वो समझ पाएंगे कि मैं और मेरा सत्य क्या है और मैं किन मूल्यों के लिए खड़ा हूं.
अगर हम देखें तो ये बात सभी को नज़र आ रही होगी कि “भारत जोड़ो यात्रा का घोषित मक़सद ‘भारत में बीजेपी की कथित विभाजनकारी राजनीति को चुनौती देना है’. हांलाकि कोशिश राहुल गाँधी तेज़ी से कर रहे हैं इस बीच कांग्रेस पार्टी में बड़ी उथल पुथल भी नज़र आयी, राजस्थान की राजनीति में सियासी संकट देखने को भी मिला, लेकिन इन सबके बीच ये बात भी साफ़ तौर पर समझ में आ रही है कि कांग्रेस इस भारत जोड़ो यात्रा अभियान के जरिये राहुल गाँधी को जमीन से जुड़ा हुआ नेता बताने की कोशिश में जुटी हुई है.
इन दिनों कई तरह की भावुक तसवीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल होती रही हैं जैसे राहुल गाँधी तेज़ बारिश में भाषण दे रहे हैं, और लोग कुर्सियों को सिर के ऊपर उठाये उनके भाषण को सुन भी रहे हैं, इसके अलावा हिज़ाब पहने लड़की को गले लगाते हुए भी तस्वीर वायरल हुई साथ हीअपनी माँ के जूते के फीते को बांधते हुए भी राहुल गांधी के तस्वीर को सोशल मीडिया पर खूब प्रतिक्रियाएं मिली.
इन तस्वीरों ने दक्षिण भारत की राजनीति को हिला कर रख दिया है और इनका संदेश उत्तर भारत और देश के अलग-अलग हिस्सों तक जा रहा है
राहुल गाँधी को पूर्व में उतना जुझारू नेता नहीं माना जाता था लेकिन इस भारत जोड़ो यात्रा ने वो मिथक तोड़े हैं जो कांग्रेस और राहुल गांधी को लेकर बनाए गए थे. राहुल गाँधी कई बार इस यात्रा के दौरान लोगों के घर जाकर उनसे मिलते बीच बीच में पत्रकारों से भी चर्चा करते,तमिलनाडु से शुरू हुआ सफर अब कर्नाटक आ पहुंचा है. 7 सितंबर को श्रीपेरंबदूर से शुरू हुई इस यात्रा में राहुल गांधी करीब 700 KM का सफर तय कर चुके हैं. राहुल गांधी ने 2019 चुनावों में कांग्रेस की बुरी हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे दिया था.
हांलाकि ऐसा नहीं था कि पार्टी नेताओं ने उन्हें अध्यक्ष पद पर रहने की बात नहीं कही लेकिन फिर भी राहुल गाँधी ने अध्यक्ष पद पर नहीं रहने का फैसला लिया। अगर हम सोशल मीडिया की तरफ नज़र डालें और लोगों के विचारधाराओं को समझे तो साफ़ तौर पर ये बात समझ आती है कि राहुल गाँधी को अपरिपक्व नेता के रूप में देखा जाता है, अब बडा सवाल ये उठता है कि क्या इस यात्रा के ज़रिये राहुल अपने आप को जनता से जुड़े जमीन से जुड़े नेता साबित करने में कामयाब हो पाएंगे?
विश्लेषक ये बात भी कहते हैं कि पार्टी के नेता उत्साहित हैं. इन दिनों में कांग्रेस को नई उपलब्धियां मिली हैं. पहली उपलब्धि ये कि इसका लोगों से सीधा संवाद लोगों को आकर्षित कर रहा है. साथ ही कांग्रेस का संगठन वर्षों से निष्क्रीय था उसमें एक नई उर्जा साफ़ तौर पर नज़र आ रही है. कार्यकर्ताओं को मनोवैज्ञानिक प्रोत्साहन भी मिला है.यात्रा आयोजन समिति के प्रमुख और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने इस यात्रा को लेकर कहा कि कई साल में ऐसा पहली बार है कि कांग्रेस की चर्चा दूरदराज के इलाकों और गांवों में हो रही है और लोग इस बात से आश्चर्य में हैं कि राहुल गांधी सही रास्ते पर चल रहे हैं, यानि कहीं न कहीं कांग्रेस का जुड़ाव अब जनता से साफ़ नज़र आ रहा है.
एक तरफ जहाँ कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकारों का दावा है कि मुख्य उद्देश्य जनता से जुड़ना और उनके मुद्दों को उठाना है.वहीँ दूसरी तरफ इस बात की चर्चा भी जोरो शोरो पर है कि 2024 में होने वाले चुनाव को लेकर कांग्रेस इस तरह से जनता के दिल में अपने लिए जगह बनाने की कोशिश में जुटी हुई है. कई मायनों में यात्रा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष की व्यक्तिगत छवि निर्माण की कवायद के रूप में आकार ले रही है. पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने बार-बार दावा किया है कि भारत जोड़ो यात्रा के बाद एक नए राहुल गांधी नजर आएंगे.केरल में उनकी यात्रा के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं में ज़बरदस्त उत्साह देखने को मिला था. अब कर्नाटक में भी बड़ी तादाद में लोग इस यात्रा से जुड़ रहे हैं.लेकिन फिर भी बीजेपी ने जो इतिहास लगातार दो लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हासिल करके रचा है उसके बाद राजनीति के विशेषज्ञ अभी बिलकुल भी ये बात कहने से कतरा रहे हैं कि राहुल गाँधी की ये यात्रा लोकसभा चुनाव के लिए बहुत ज़्यादा बेहतर हो पाएगी
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