India News (इंडिया न्यूज़), Conversion Case: अलीगढ़ महानगर के देहली गेट क्षेत्र के एक धर्म स्थल पर झाडफ़ूंक के लिए पहुंचीं महिलाओं के धर्म परिवर्तन के आरोप में जेल भेजे गये मौलवी को शुक्रवार को रिहा कर दिया गया। मामले को लेकर पुलिस ने धर्म परिवर्तन की धाराएं हटाए जाने के साथ सिर्फ ठगी की धारा में रिमांड बनवाया था। जिसमें शुक्रवार को आदालत ने जमानत दे दिया।
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि यह घटना बीते सोमवार की है, जब बारहद्वारी इलाके के धर्म स्थल पर झाडफ़ूंक के लिए आईं महिलाओं के साथ पहुंचे भाजपा युवा मोर्चा के नेताओं ने वहां सवाल जवाब किए। जिसके दौरान एडीए शाहजमाल के मौलवी हाफिज इकबाल पर धर्म परिवर्तन कराने का आरोप लगाया गया। जिसमें महिलाओं ने मौलवी की चप्पलों से पिटाई कर दी। इस मामले के बाद पुलिस ने मौलवी को गिरफ्तार कर लिया और मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया।
धर्म परिवर्तन का लगाया गया आरोप
मामले के बाद सोशल मीडिया पर इसका एक वीडियो वायरल हुआ जिसके बाद सपा, बसपा के नेता मौलवी के समर्थन में आ गए और झूठा फंसाने का आरोप भी लगाया। इस वीडियो के आधार पर पुलिस द्वार माना गया कि, धर्म परिवर्तन का आरोप गलत है। इसी मामले के आधार पर पुलिस ने बृहस्पतिवार को नए सिरे से रिमांड बनवाया और धर्म परिवर्तन की धारा को हटाया।
मौलवी पक्ष के अधिवक्ता आले नवी ने लगाया आरोप
मौलवी पक्ष से पैरवी कर रहे अधिवक्ता आले नवी ने बताया कि, मौलवी के खिलाफ सिर्फ ठगी की धारा पुलिस स्तर से दूसरे रिमांड में लगाई गई। जिस पर जमानत अर्जी दायर की गई। न्यायालय से उसे मंजूर कर लिया और देर शाम रिहाई हो गई। इस दौरान मौलवी ने कहा कि उन्हें झूठा फंसाया गया। वे 2006 से इस धर्म स्थल में इमामत कर रहे हैं। लोग उनके पास अपने दुख दर्द में सिर्फ सिर पर हाथ रखवाने आते हैं। उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया। इस मामले में सपा नेता जमीरउल्लाह व बसपा नेता सलमान शाहिद ने भी कहा कि ये न्याय की जीत है।