इंडिया न्यूज़ (दिल्ली):अखिल भारतीय बार एसोसिएशन ने पूर्व कानून मंत्री कपिल सिब्बल के बयान की निंदा की है, जिसमे उन्होंने कहा था की भारत की न्यायिक व्यवस्था से अब उम्मीद नही किया जा सकता,अखिल भारतीय बार एसोसिएशन के प्रमुख आदिश सी अग्रवाल ने कहा की “अदालतें मामलों को उनके सामने पेश किए गए तथ्यों को कानून के नज़र से देखती और फिर फैसला देती है। वे संविधान के प्रति निष्ठा रखती हैं और इसके अलावा कुछ नही”
अग्रवाल ने आगे कहा की “आपराधिक मामले जो तत्कालीन सरकारों द्वारा राजनीतिक द्वेष में स्थापित किए जाते है,जहां विस्तृत जांच की जाती है,लेकिन कोई सबूत नही मिलता,उन्हें दफनाया जाना ही उचित है,इसके लिए न्यायवस्था को दोष नहीं दिया जा सकता,अदालतें किसी खास समुदाय की भावनाओं को शांत करने के लिए लोगों को फांसी पर लटकाने वाले फैसले नहीं देतीं,यदि कपिल सिब्बल की पसंद के अनुसार मामलों का फैसला नहीं किया गया है,तो इसका मतलब यह नहीं है कि न्यायिक प्रणाली विफल हो गई है”
वरिष्ठ कपिल सिब्बल ने ईडी पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए फैसले पर कहा था की “इस साल मैं सुप्रीम कोर्ट में 50 साल का अभ्यास पूरा करूंगा और 50 साल बाद मुझे लगता है कि मुझे संस्थान से कोई उम्मीद नहीं है। आप सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए प्रगतिशील फैसलों की बात करते हैं लेकिन जमीनी स्तर पर जो होता है,उसमें बहुत अंतर होता है। निजता पर सुप्रीम कोर्ट फैसला देती है और ईडी के अफसर आपके घर पहुंच जाते है … कहां है आपकी निजता”
इसके अलावा सिब्बल ने 2002 के गुजरात दंगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कई अन्य लोगों को विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा दी गई क्लीन चिट को चुनौती देने वाली कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की विधवा जकिया जाफरी द्वारा दायर याचिका और साल 2009 में छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी अभियानों के दौरान सुरक्षा बलों द्वारा 17 आदिवासियों की हत्याओं की कथित घटनाओं की स्वतंत्र जांच की मांग करने वाले याचिका को ख़ारिज करने के लिए भी सुप्रीम कोर्ट की आलोजना की थी.
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