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इंडिया न्यूज, Amarnath Yatra Cloudburst: अमरनाथ गुफा के पास शुक्रवार शाम हुए हादसे के बाद रेस्क्यू आपरेशन तेजी से चल रहा है। हादसे को 40 घंटे हो चुके हैं, अभी भी 40 से ज्यादा श्रद्धालु लापता हैं। बादल फटने की घटना के बाद लापता लोगों की तलाश का काम जारी है। चट्टानें काटने के लिए मशीनों का भी इंतजाम किया जा रहा है। इसी बीच जम्मू-कश्मीर के उप राज्यपाल मनोज सिन्हा ने हाईलेवल बैठक की, जिसमें अमरनाथ की पवित्र गुफा के पास चल रहे बचाव एवं राहत अभियान की समीक्षा की गई। इस बैठक में कई अहम फैसले लिए गए।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने गुफा के ऊपर की तरफ हवाई सर्वे करने का निर्देश दिया है ताकि देखा जा सके कि कोई और ऐसी झील तो नहीं है, जो खतरा बन सके। हवाई सर्वे कालीमाता पॉइंट के ऊपर भी किया जाएगा। सिन्हा ने सभी से अनुरोध किया कि यात्री शिविरों में ही रहें। प्रशासन उन्हें सभी सुविधाएं मुहैया करा रहा है। हम यात्रा को यथाशीघ्र बहाल करने की कोशिश कर रहे हैं।
इसके अलावा अचानक से आने वाले फ्लड के संभावित रास्ते को लेकर भी चर्चा की गई जिसको लेकर कहा गया है कि फ्लैश फ्लड के रास्ते में आने वाले टेंटों को कहीं ओर शिफ्ट किया जाएगा। फिलहाल मौजूदा हालातों के मद्देनजर अमरनाथ यात्रा को निलंबित रखा गया है। अमरनाथ यात्रा सोमवार को शुरू करने पर विचार के लिए उच्चस्तरीय बैठक होगी, जिसके बाद फैसला किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक बैठक में थलसेना, पुलिस, वायुसेना और नागरिक प्रशासन के शीर्ष अधिकारियों ने हिस्सा लिया। आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि 15वीं कोर के जीओसी लेफ्टिनेंट जनरल एस.एस. औजला और पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह ने उपराज्यपाल को पवित्र गुफा के पास चल रहे बचाव अभियान की जानकारी दी।
जीओसी ने बताया कि बचाव और राहत अभियान में लगी एजेंसियां जोरो शोरों से काम में जुटी हैं। इनके पास मलबा साफ करने के उपकरण हैं। उप राज्यपाल ने कहा कि मलबा को जितना जल्दी हो सके, रास्ते से हटाया जाएं। डीजीपी दिलबाग सिंह ने कहा कि अधिकतर घायलों को पहले ही अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है। कुछ लोगों का श्रीनगर के बेस अस्पताल में किया जा रहा है। उन्हें भी जल्द छुट्टी दे दी जाएगी।
बता दें कि अमरनाथ गुफा के पास शुक्रवार शाम को बादल फटने से मलबे का सैलाब आ गया था। हादसे में अभी तक 16 लोगों की मौत की पुष्टि हुई। करीब 40 लोग लापता बताए जा रहे हैं। हादसे में लगभग 65 लोग घायल हुए हैं जिनका का अलग-अलग अस्पतालों में इलाज चल रहा है. सेना, बीएसएफ, आईटबीपी, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के अलावा प्रशासन के अधिकारी कर्मचारी राहत और बचाव कार्यों में जुटे हुए हैं।
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