इंडिया न्यूज, Taipei/Beijing/Washington News। Nancy Pelosi visit Taiwan : चीन की चेतावनी के बावजूद अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस आफ रिप्रजेंटेटिव की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंच गई और इसको लेकर चीन आगबबूला हो गया है। उसने अमेरिका के खिलाफ कई अक्रामक फैसले ले लिए हैं और इससे इन दोनों महाशक्तियों के बीच जंग के हालात पैदा हो गए हैं। मंगलवार को पेलोसी का विमान 24 लड़ाकू विमानों की निगहबानी में ताइपे में लैंड हुआ।
उनके विमान को अमेरिकी नौसेना और वायुसेना के लड़ाकू विमानों ने एस्कार्ट किया। पेलोसी के इस दौरे पर करीब से नजर रख रहे चीन की सेना पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने बुधवार से ताइवान के चारों ओर छह क्षेत्रों में लक्षित सैन्य अभ्यास करने का निर्णय लिया है। चीन के रक्षा मंत्रालय ने मंगलवार रात को यह जानकारी दी।
सैन्य अभ्यास को लेकर जापान ने भी चिंता जाहिर की है। उधर ताइवान भी चीन की तरफ से होने वाली किसी भी प्रतिक्रिया का जवाब देने के लिए तैयार है। बता दें कि पेलोसी के ताइपे पहुंचने से चंद मिनट पहले चीन ने अपने लड़ाकू विमानों को ताइवान के आसमान में भेजकर उनके इस दौरे का कड़ा विरोध जताया था। ड्रैगन ने समुद्र में मिसाइलों का परीक्षण भी किया।
बता दें कि ताइपे पहुंचने के बाद बुधवार को पेलोसी ने ताइवान के राष्ट्रपति त्साई इंग वेन से भी मुलाकात की। त्साई इंग वेन ने इस मौके पर कहा कि उनका देश सैन्य खतरों के आगे नहीं झुकेगा। पेलोसी के दौरे से बौखलाए चीन ने ताइवान के लिए आर्थिक परेशानियां खड़ी करना शुरू कर दी हैं। जिनपिंग सरकार ने ताइवान को नेचुरल सैंड के देने पर रोक लगा दी है। इससे ताइवान को काफी नुकसान हो सकता है।
इसी के साथ चीन ने मंगलवार को बिस्कुट और पेस्ट्री के 35 ताइवानी निर्यातकों से आयात को निलंबित कर दिया। हांगकांग सहित ताइवान और चीन के बीच बिस्कुट और पेस्ट्री महत्वपूर्ण व्यापारिक वस्तुएं हैं। ताइवान से 2021 में लगभग दो तिहाई निर्यात बिस्कुट और पेस्ट्री थे।
ऐसा अनुमान है कि प्रतिबंध प्रभावी होने के बाद ताइवान में 100 से अधिक कंपनियां चीन के साथ व्यापार करना बंद करने के लिए मजबूर हो जाएंगी। उधर नॉर्थ कोरिया ने भी नैंसी पेलोसी की ताइवान विजिट की निंदा की है। वहां विदेश मंत्रालय का कहना है कि अमेरिका चीन के आंतरिक मामलों में दखल दे रहा है। रूस भी पेलोसी के ताइवान दौरे से भड़क गया है और उसने चीन का समर्थन किया है।
पेलोसी ने कहा, सुरक्षा के मुद्दे पर अमेरिका ताइवान का साथ देगा। उन्होंने कहा, हम हर पल उनके साथ है। हमें ताइवान की दोस्ती पर गर्व है। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने 43 साल पहले ताइवान के साथ खड़े रहने का जो वादा किया था, वह उस पर आज भी अडिग है।
नैंसी पेलोसी ने ताइवान संसद के डिप्टी स्पीकर साई ची-चांग से भी मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने थियानमेन स्क्वायर नरसंहार का जिक्र करते हुए मानवाधिकारों के लिए अमेरिकी समर्थन का भरोसा दिलाया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका और ताइवान की सेनाएं चीन से निपटने के लिए तैयार हैं। अमेरिकी नेवी के 4 वॉरशिप हाईअलर्ट पर हैं और ताइवान की समुद्री सीमा में गश्त कर रहे हैं।
इन पर एफ-16 और एफ-35 जैसे हाईली एडवांस्ड फाइटर जेट्स और मिसाइलें मौजूद हैं। रीपर ड्रोन और लेजर गाइडेड मिसाइलें भी तैयार हैं। अगर चीन की तरफ से कोई हिमाकत की गई तो अमेरिका और ताइवान उस पर दोनों तरफ से हमला कर सकते हैं।
चीन वन-चाइना पालिसी के तहत ताइवान को अपना हिस्सा मानता है, जबकि ताइवान खुद को एक स्वतंत्र देश की तरह देखता है। चीन का लक्ष्य ताइवान को उनकी राजनीतिक मांग के आगे झुकने और चीन के कब्जे को मानने के लिए ताइवान को मजबूर करने का रहा है।
इधर, अमेरिका भी वन चाइना पालिसी को मानता है, लेकिन ताइवान पर चीन का कब्जा नहीं देख सकता। बाइडेन ने 2 महीने पहले कहा था, हम वन चाइना पालिसी पर राजी हुए, हमने उस पर साइन किया, लेकिन यह सोचना गलत है कि ताइवान को बल के प्रयोग से छीना जा सकता है। चीन का यह कदम न केवल गलत होगा, बल्कि यह पूरे क्षेत्र को एक तरह की नई जंग में झोंक देगा।
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