India News (इंडिया न्यूज़), About Manipur Violence, इंफाल: मणिपुर के कुछ हिस्सों में झड़पों के बाद मुक्केबाजी चैंपियन मैरी कॉम ने केंद्र से उनके राज्य की मदद करने की अपील की। गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री से बाद कर मामले की जानकारी ली। मणिपुर में सेना और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है।
- शांति की अपील
- सेना ने फ्लैग मार्च किया
- गृह मंत्री ने सीएम से बात की
ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन (एटीएसयू) मणिपुर द्वारा अनुसूचित जनजाति वर्ग में मीतेई समुदाय को शामिल करने के विरोध में एक रैली का आयोजन 3 मई को किया गया था, इस वक्त हिंसा भड़क गई। मैरी कॉम ने राज्य और केंद्र दोनों सरकारों से राज्य में शांति बहाल करने के लिए तत्काल कदम उठाने की अपील की और कहा कि राज्य में स्थिति जल्द से जल्द सामान्य होनी चाहिए।
सेना को तैनात किया गया
मणिपुर के मुख्यमंत्री के साथ टेलीफोन पर बातचीत में गृह मंत्री को वर्तमान स्थिति और इसे नियंत्रित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों से अवगत कराया गया। राज्य में रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की कुछ कंपनियां भेजी गई हैं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पर्याप्त संख्या में सेना, असम राइफल्स और अन्य केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में तैनात किया गया है।
पांच दिन के लिए इंटरनेट बंद
इस बीच राज्य सरकार ने पांच दिनों के लिए मोबाइल इंटरनेट बंद कर दिया है। बड़ी सभाओं पर प्रतिबंध के साथ-साथ राज्य के कई जिलों में रात का कर्फ्यू भी लगाया गया है। स्थिति को देखते हुए, गैर-आदिवासी बहुल इंफाल पश्चिम, काकचिंग, थौबल, जिरीबाम, और बिष्णुपुर जिलों और आदिवासी बहुल चुराचंदपुर, कांगपोकपी और तेंगनौपाल जिलों में कर्फ्यू लगा दिया गया है।
दो बड़ी समस्या से जूझ रही सरकार
जहां तक मौजूदा हालात की बात है तो राज्य में दो मुद्दों ने यह स्थिति पैदा की है। पहला, जंगल की रक्षा के लिए सीएम बीरेन सिंह के कदम को अवैध प्रवासियों और ड्रग कार्टेल से प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है और दूसरा मणिपुर उच्च न्यायालय के हालिया निर्देश से जुड़ा हुआ है, जिसमें राज्य सरकार को एसटी में मेइती में रखने पर विचार करना है, जिसके कारण एसटी लोगों में नाराजगी है।
ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) द्वारा चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में बुलाए गए ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के दौरान इंफाल घाटी में हजारों आदिवासी शामिल हुए। आदिवासी राज्य की आबादी का लगभग 40 प्रतिशत हैं। आदिवासी जुलूसों में शामिल हुए, तख्तियां लहराईं और मेइती को एसटी दर्जे का विरोध करते हुए नारे लगाए।
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