इंडिया न्यूज, अयोध्या, न्यूज। Deepotsav in Ayodhya: दीपोत्सव से श्रीराम के लंका विजय की स्मृति के साथ रामनगरी और रामकथा की वैश्विकता भी परिभाषित होगी। इसकी शुरूआत दीपोत्सव के प्रथम संस्करण 2017 से ही हो गई थी, जब रामकथा पार्क में राम राज्याभिषेक का मंचन किए जाने के बाद इंडोनेशिया एवं श्रीलंका के कलाकारों ने रामकथा के विभिन्न प्रसंगों का मंचन किया। इसके बाद से दीपोत्सव के प्रत्येक संस्करण में लीला की प्रस्तुति के माध्यम से रामकथा की वैश्विक व्याप्ति परिलक्षित होने का चलन चल पड़ा।
दूसरे दीपोत्सव में ट्रिनिडाड एंड टोबैगो, रूस, श्रीलंका, लाओस, इंडोनेशिया एवं कंबोडिया के रूप में छह देशों की मंडली ने, तीसरे दीपोत्सव में नेपाल, श्रीलंका, इंडोनेशिया एवं फिलीपींस, चौथे दीपोत्सव में ट्रिनिडाड एंड टोबैगो, थाईलैंड, श्रीलंका, फिजी एवं नेपाल की मंडली ने तथा पांचवें दीपोत्सव में श्रीलंका एवं नेपाल की मंडली ने रामलीला की प्रस्तुति दी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति से चरम का स्पर्श करने को आतुर दीपोत्सव का छठवां संस्करण आठ देशों की रामलीला के मंचन का साक्षी बनेगा। ये देश हैं, इंडोनेशिया, श्रीलंका, मलेशिया, थाईलैंड, रूस, फिजी, ट्रिनिडाड एंड टोबैगो तथा नेपाल। प्रत्येक देश की रामलीला मंडली में 12 से 18 कलाकार शामिल होंगे। रामलीला के साथ रामनगरी की वैश्विक विरासत रानी हो के स्मारक से भी प्रशस्त होगी।
दक्षिण कोरियाई वास्तु के प्रतिनिधि के रूप में रानी हो का स्मारक 21 करोड़ 92 लाख की लागत से उद्घाटन के लिए तैैयार है। इसी के साथ अयोध्या और दक्षिण कोरिया के प्राचीन-पुरातन संबंधों की विरासत भी फलक पर होगी। दक्षिण कोरियाई इतिहास एवं परंपरा के अनुसार रानी हो अथवा श्रीरत्ना अयोध्या की राजकुमारी थीं और दैवी प्रेरणा से वह सुदीर्घ जल मार्ग से दक्षिण कोरिया पहुंचीं। यहां उनका विवाह राजा सूरो से हुआ।
दो हजार वर्ष के सफर में आज रानी हो एवं राजा सूरो के वंशज दक्षिण कोरिया में सर्वाधिक प्रभावी एवं जनसंख्या की दृष्टि से भी सर्वाधिक समूह के रूप में प्रतिष्ठित हैं। आज भारत और दक्षिण कोरिया के संबंधों में अंतरराष्ट्रीय मूल्यों-मानकों के साथ रानी हो और राजा सूरो पुरातन प्रसंग को भी निर्णायक माना जाता है। दीपोत्सव के दूसरे संस्करण के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में दक्षिण कोरिया के तत्कालीन राष्ट्रपति की पत्नी किम जुंग सुक की उपस्थिति भी इस संबंध को नई धार देने वाली रही।
दीपोत्सव के अवसर पर राष्ट्रव्यापी संस्कृति की भी छटा बिखरेगी। दीपोत्सव के प्रत्येक संस्करण की तरह इस बार भी विभिन्न प्रदेशों के रामायण बैले तथा लोकनृत्य की प्रस्तुति होगी। इस बार उत्तर प्रदेश सहित दिल्ली, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, ओड़िसा, तमिलनाडु एवं झारखंड के लगभग 1800 कलाकार प्रस्तुति देंगे। इसके लिए अकेले रामकथापार्क का मंच कम पड़ेगा। कलाकार भजन संध्या स्थल, सरयू पर बने रेलवे पुल के समीप, रामघाट, बड़ी देवकाली, गुप्तारघाट तथा भरतकुंड पर बने मंचों से प्रस्तुति देंगे।
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