संबंधित खबरें
Jammu and Kashmir: बडगाम में खाई में गिरी BSF जवानों की बस, 4 जवान शहीद, 32 घायल
मेरठ में बड़ा हादसा, तीन मंजिला मकान गिरने से कई घायल, मलबे में दबे पशु
किस दिन होगा केजरीवाल की किस्मत का फैसला? इस घोटाले में काट रहे हैं सजा
No Horn Please: हिमचाल सरकार का बड़ा फैसला, प्रेशर हॉर्न बजाने पर वाहन उठा लेगी पुलिस
Himachal News: बेरोजगार युवाओं के लिए अच्छे दिन! जानें पूरी खबर
Rajasthan: चेतन शर्मा का इंडिया की अंडर-19 टीम में चयन, किराए के मकान में रहने के लिए नहीं थे पैसे
इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : पुरानी पेंशन योजना (OPS) को गैर-बीजेपी शासित राज्यों ने खूब हवा दी है। जानकारी दें, हाल में पूरे हुए हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस ने पुरानी पेंशन योजना को बड़ा मुद्दा बनाया था और सरकार बनने पर इसे लागू करने का वादा किया था। लेकिन राज्य सरकारों के लिए भी बड़ी चुनौती फंड की है, क्योंकि इससे लागू करने से सरकार के खजाने पर भारी बोझ बढ़ेगा। पुरानी पेंशन योजना पर अब योजना आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने बड़ा बयान दिया है।
जानकारी दें, वित्त मंत्री निर्मला सीतरमण की मौजूदगी में मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने एक कार्यक्रम के दरम्यान कहा कि कुछ राज्य सरकारों द्वारा पुरानी पेंशन योजना को फिर से शुरू करना वित्तीय दिवालियापन की रेसिपी है। उन्होंने यह भी कहा कि मैं निश्चित रूप से इस विचार से सहमत हूं कि यह कदम बेतुका है और वित्तीय दिवालियापन के लिए एक रेसिपी है।
इस कदम को आगे बढ़ाने वालों के लिए बड़ा फायदा यह है कि दिवालियापन 10 साल बाद आएगा। मोंटेक अहलूवालिया का मानना है कि सिस्टम को राजनीतिक दलों या सत्ता में बैठे दलों को उन नीतियों को अपनाने से रोकना चाहिए जो वित्तीय आपदा का कारण बन सकती हैं।
नई और पुरानी पेंशन योजना में अंतर
आपको बता दें, देश में 1 जनवरी 2004 से NPS यानी नई पेंशन स्कीम लागू है। हालाँकि दोनों पेंशन के कुछ फायदे और कुछ नुकसान भी हैं। पुरानी स्कीम के तहत रिटायरमेंट के वक्त कर्मचारी के वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है। क्योंकि पुरानी स्कीम में पेंशन का निर्धारण सरकारी कर्मचारी की आखिरी बेसिक सैलरी और महंगाई दर के आंकड़ों के अनुसार होता है। वहीँ पुरानी पेंशन स्कीम में पेंशन के लिए कर्मचारियों के वेतन से कोई पैसा कटने का प्रावधान नहीं है। साथ ही पुरानी पेंशन योजना में भुगतान सरकार की ट्रेजरी के माध्यम से होता है।
पुरानी पेंशन स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी की रकम मिलती है। वहीं, रिटायर्ड कर्मचारी की मृत्यु होने पर उसके परिजनों को पेंशन की राशि मिलती है। सबसे खास बात तो यह है कि पुरानी पेंशन स्कीम में हर 6 महीने बाद मिलने वाले DA का प्रावधान है, यानी जब सरकार नया वेतन आयोग लागू करती है, तो भी इससे पेंशन में बढ़ोतरी होती है।
केंद्र सरकार के साथ-साथ विशेषज्ञों का भी कहना है कि पेंशन सिस्टम सरकार पर भारी बोझ डालती है। यही नहीं, पुरानी पेंशन स्कीम से सरकारी खजाने पर ज्यादा असर पड़ता है। मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने भी इसी तरफ इशारा किया है।
जानकारी दें, पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारी की सैलरी से कोई कटौती नहीं होती थी। वहीँ, NPS में कर्मचारियों की सैलरी से 10% की कटौती की जाती है। पुरानी पेंशन योजना में GPF की सुविधा होती थी, लेकिन नई स्कीम में इसकी सुविधा नहीं है। पुरानी पेंशन स्कीम में रिटायरमेंट के समय की सैलरी की करीब आधी राशि पेंशन के रूप में मिलती थी, जबकि नई पेंशन योजना में निश्चित पेंशन की कोई गारंटी नहीं है। क्योंकि पुरानी पेंशन एक सुरक्षित योजना है, जिसका भुगतान सरकारी खजाने से किया जाता है। वहीं, नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिसमें बाजार की चाल के अनुसार भुगतान किया जाता है।
मालूम हो, NPS पर रिटर्न अच्छा रहा तो प्रोविडेंट फंड और पेंशन की पुरानी स्कीम की तुलना में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय अच्छी राशि भी मिल सकती है। क्योंकि ये शेयर बाजार पर निर्भर रहता है। लेकिन कम रिटर्न की स्थिति में फंड कम भी हो सकता है।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.