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इंडिया न्यूज, लंदन, (Prince Charles-III): ब्रिटेन की महारानी क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय के बेटे प्रिंस चार्ल्स-III ब्रिटेन के नए महाराज होंगे। एलिजाबेथ का गुरुवार को 96 वर्ष की उम्र में निधन हो गया था। इसके बाद अब राजपरिवार की जिम्मेदारी उनके बेटे पर आ गई है। प्रिवी काउंसिल की बैठक के बाद प्रिंस चार्ल्स को औपचारिक तौर पर ब्रिटेन का नया महाराज घोषित करने का निर्णय लिया गया है।
प्रिंस चार्ल्स की पत्नी डचेज आॅफ कॉर्नवॉल कैमिला को क्वीन कंसोर्ट की उपाधि मिलेगी। मतलब अब डचेज आॅफ कॉर्नवॉल कैमिला ब्रिटेन की ‘महारानी’ होंगी। सात दशक से भी ज्यादा समय के लंबे अंतराल के बाद एक नई महिला को ‘महारानी’ कह कर बुलाया जाएगा। रिपोर्टों के अनुसार इस तरह ब्रिटिश राजपरिवार का ‘कोहिनूर’ ताज अभी उनके पास ही रहेगा
ब्रिटेन में कई वर्ष की बहस के बाद महारानी एलिजाबेथ द्वितीय के कारण क्वीन कंसोर्ट की उपाधि तय हुई है। कैमिला को क्वीन कंसोर्ट की उपाधि देने का निर्णय उन्हीं दिनों में कर लिया गया था, जब चार्ल्स और कैमिला एक-दूसरे के करीब आ रहे थे और उनकी शादी अभी नहीं हुई थी। यह तब से तय था कि 75 वर्षीय कैमिला क्वीन कंसोर्ट की उपाधि ग्रहण करेंगी, लेकिन उन्हें यह उपाधि किसी संप्रभुता वाले अधिकार के बिना दी जाएगी।
परंपरागत रूप से राजा की पत्नी ‘रानी’ होती हैं, लेकिन चार्ल्स के राजा बनने पर कैमिला की उपाधि क्या होगी यह कई वर्ष से उलझा सवाल रहा है। दरअसल, चार्ल्स की पूर्व पत्नी प्रिंसेज डायना की 1997 में कार हादसे में मौत हो गई थी और उसके बाद से लोगों के दिलों में बसा यह दुख व कैमिला के चार्ल्स की दूसरी पत्नी होने की वजह से राजशाही में उनका ओहदा हमेशा से संवेदनशील मसला रहा है।
राजमहल के अधिकारियों ने कई वर्ष तक कहा कि प्रिंस चार्ल्स के राजा बनने पर कैमिला को शायद परंपरागत ‘क्वीन कंसोर्ट’ के बजाय ‘प्रिंसेस कंसोर्ट’ की उपाधि दी जाएगी। शाही अधिकारियों की मानें तो ब्रिटेन की राजशाही के इतिहास में ‘प्रिंसेस कंसोर्ट’ की उपाधि का कोई उदाहरण नहीं है। उनका मानना है कि इससे मिलती-जुलती उपाधि ‘प्रिंस कंसोर्ट’ केवल एक बार महारानी विक्टोरिया के पति एल्बर्ट के लिए इस्तेमाल की गई थी। हालांकि, जब महारानी एलिजाबेथ द्वितीय ने सार्वजनिक ऐलान किया कि उनके बेटे प्रिंस चार्ल्स के राजा बनने पर कैमिला को ‘क्वीन कंसोर्ट’ की उपाधि दी जाएगी तो यह चर्चा भी खत्म हो गई।
कोहनूर एक 105.6 कैरेट का हीरा है। इसकी इतिहास में विशेष जगह रही है। भारत में 14वीं सदी में यह हीरा मिला था और अगली कई सदियों तक यह अलग-अलग राजघरानों के पास रहा। वर्ष 1849 में ब्रिटिश शासन के पंजाब में स्थापित होने के बाद इस कोहनूर हीरे को क्वीन विक्टोरिया को सौंपा गया था। तब से यह हीरा ब्रिटेन के ताज का हिस्सा है। हालांकि, इसके अधिकार को लेकर भारत सहित चार देशों के बीच विवाद रहे हैं।
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