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India News (इंडिया न्यूज़), Cauvery Water Dispute: कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी के जल को चल रहा विवाद खत्म होने का नाम नही ले रहा है, इसकर खींचतान लगातार जारी है। इस मानसून में कम बारिश होने के कारण बेसिन के अधिकांश जलाशयों में पानी का प्रवाह कम हो गया है। वहीं आने वाले महीनों में पीने और सिंचाई लेकर पानी की भारी कमी की आशंका जताई जा रही है। इसी बीच, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने शनिवार को मामले को लेकर कहा कि, राज्य सरकार तमिलनाडु को कावेरी नदी का पानी छोड़ने पर जमीनी हकीकत, कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) और सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेगी।
मामले को लेकर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि, उन्होंने राज्य की सुरक्षा के उद्देश्य से एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से मिलने के लिए समय मांगा है। इस मुद्दे पर रुचि के साथ ही मंजूरी की प्रतीक्षा में अन्य लंबित परियोजनाएं भी शामिल हैं।
आगे सीएम ने कहा कि, हमारे पास छोड़ने के लिए पानी नहीं है, इसके बावजूद कावेरी जल विनियमन समिति ने कहा है कि, हमें (तमिलनाडु को) हर दिन 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ना चाहिए। पहले तो उन्होंने 15,000 क्यूसेक कहा। हमारे अनुरोध के बाद उन्होंने इसे घटाकर 10,000 क्यूसेक कर दिया है। अब हमारी अपील के बाद वे मिले और कहा कि, 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ा जाना चाहिए। आगे वह कहते हैं कि, तमिलनाडु ने 24,000 क्यूसेक पानी छोड़ने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की है, जिसे कर्नाटक मानने की स्थिति में नहीं है।
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि, बिना पानी के हम इतना कहां से छोड़ंगे? हमें फसलों की सुरक्षा करनी है, पीने का पानी उपलब्ध कराना है। हम अपनी पेयजल आवश्यकताओं और किसानों की फसलों की सुरक्षा करके, राज्य के हितों की रक्षा करेंगे। हम जमीनी तथ्य कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण और सुप्रीम कोर्ट के सामने रखेंगे।
बता दें कि, कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) ने कर्नाटक को 29 अगस्त से अगले 15 दिनों तक के लिए तमिलनाडु को प्रतिदिन 5,000 क्यूसेक पानी छोड़ने का निर्देश दिया है। सीडब्ल्यूएमए ने यह निर्णय कावेरी जल विनियमन समिति की सिफारिश के आधार पर लिया।
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