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इंडिया न्यूज, New Delhi News। Delhi Excise Policy Scam : शुक्रवार सुबह से ही सीबीआई की टीमें दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के आवास और ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। सीबीआई अब तक कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 30 से अधिक ठिकानों पर छापे मार चुकी है। सीबीआई ने 17 अगस्त को दर्ज की गई अपनी एफआईआर में आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रविधानों से संबंधित आईपीसी की धाराओं के तहत 13 लोगों और दो कंपनियों को नामजद किया गया है।
सिसोदिया के अलावा सीबीआई ने आरोपियों के रूप में तत्कालीन आबकारी आयुक्त आरव गोपी कृष्ण, तत्कालीन उप आबकारी आयुक्त आनंद कुमार तिवारी, सहायक आबकारी आयुक्त पंकज भटनागर, नौ व्यवसायी और दो कंपनियों को नामजद किया है। सिसोदिया के पास शिक्षा विभाग के साथ आबकारी विभाग की भी जिम्मेदारी है।
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि सिसोदिया और अन्य आरोपी लोक सेवकों ने निविदा के बाद लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ देने के इरादे से सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना आबाकरी नीति 2021-22 से संबंधित सिफारिश की और निर्णय लिया।
एफआईआर में कहा गया है कि मनोरंजन और इवेंट मैनेजमेंट कंपनी ओनली मच लाउडर के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) विजय नायर, पर्नोड रिकॉर्ड के पूर्व कर्मचारी मनोज राय, ब्रिंडको स्पिरिट्स के मालिक अमनदीप ढल और इंडोस्पिरिट्स के मालिक समीर महेंद्रू सक्रिय रूप से पिछले साल नवंबर में लाई गई आबकारी नीति का निर्धारण और क्रियान्वयन में अनियमितताओं में शामिल थे।
एजेंसी ने आरोप लगाया कि गुड़गांव में बडी रिटेल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक अमित अरोड़ा, दिनेश अरोड़ा और अर्जुन पांडे, सिसोदिया के करीबी सहयोगी हैं और आरोपी लोक सेवकों के लिए शराब लाइसेंसधारियों से एकत्र किए गए अनुचित आर्थिक लाभ के प्रबंधन और स्थानांतरण करने में सक्रिय रूप से शामिल थे।
सीबीआई ने आरोप लगाया है कि दिनेश अरोड़ा द्वारा प्रबंधित राधा इंडस्ट्रीज को इंडोस्पिरिट्स के समीर महेंद्रू से एक करोड़ रुपये मिले। एफआईआर में कहा गया है कि अरुण रामचंद्र पिल्लई, विजय नायर के माध्यम से समीर महेंद्रू से आरोपी लोक सेवकों को आगे स्थानांतरित करने के लिए अनुचित धन एकत्र करता था। अर्जुन पांडे नाम के एक व्यक्ति ने विजय नायर की ओर से समीर महेंद्रू से लगभग 2-4 करोड़ रुपये की बड़ी नकद राशि एकत्र की।
एजेंसी का आरोप है कि सनी मारवाह की महादेव लिकर को योजना के तहत एल-1 लाइसेंस दिया गया था। यह भी आरोप लगाया कि दिवंगत शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा की कंपनियों के बोर्ड में शामिल मारवाह आरोपी लोक सेवकों के निकट संपर्क में था और उन्हें नियमित रूप से रिश्वत देता था।
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