India News Delhi (इंडिया न्यूज़), Chacha Nehru Hospital: दिल्ली के चाचा नेहरू अस्पताल में पिछले पांच सालों में पांच साल से कम उम्र के चार हजार से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। मौत का मुख्य कारण सेप्सिस, निमोनिया और सेप्टिक शॉक समेत अन्य बीमारियां हैं। इनमें सबसे ज्यादा मौतें 2019 में 875 हुई थीं, जबकि सबसे कम मौतें 2023 में 548 होंगी। वहीं, इस साल जून तक 314 मौतें हुईं। कोविड-19 महामारी के दौरान 2020 में 866 और 2021 में 626 मौतें हुईं। सूचना के अधिकार (आरटीआई) से यह जानकारी सामने आई है। निमोनिया, सेप्टिक शॉक और सेप्सिस समेत अन्य बीमारियों से 4095 बच्चों की मौत हुई है। इस मामले में अस्पताल प्रबंधन ने कोई जवाब नहीं दिया।
दिल्ली के अमित गुप्ता ने आरटीआई दायर कर सभी सरकारी अस्पतालों से 2019 से जून 2024 तक हुई मौतों की जानकारी मांगी थी। उन्होंने जून में स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय (DGHS) को आरटीआई दायर की थी। इसमें पता चला कि पिछले पांच सालों में दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में पांच साल से कम उम्र के कितने मरीजों की मौत हुई है और इसकी वजह क्या थी।
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DGHS ने वह आरटीआई सभी अस्पतालों को भेजी। इसमें से चाचा नेहरू अस्पताल ने आरटीआई का जवाब दिया और उन्हें इस साल जून तक का डेटा मुहैया कराया। अमित गुप्ता ने कहा कि आंकड़े चौंकाने वाले हैं। चाचा नेहरू अस्पताल को बच्चों का सुपरस्पेशलिटी अस्पताल कहा जाता है। इसमें पांच साल में चार हजार से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई। यह आंकड़ा साफ दर्शाता है कि चाचा नेहरू अस्पताल बच्चों का इलाज करने में विफल हो रहा है।
वह दावा भी झूठा है जिसमें कहा जा रहा है कि सरकार का ज्यादातर बजट स्वास्थ्य सेवाओं पर खर्च हो रहा है। देश वर्ष 2020 और 2021 में कोरोना महामारी से जूझ रहा था। उस दौरान भी अस्पताल में 2020 में 866 और 2021 में 626 मौतें हुईं।
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