India News (इंडिया न्यूज़), Chandrayaan 3: मिशन चंद्रयान-3 का काउंटडाउन शुरु हो चुका है, इसे लेकर ISRO की तरफ से पूरी तैयारी कर ली गई है बस अब लॉन्चिंग की देरी है। इस बार कोशिश है कि रोवर की सफलतापूर्वक चांद पर लैंडिंग कराई जाए। अगर भारत ऐसा करने में कामयाब हो जाता है वो अमेरिका और चीन जैसे देशों की बराबरी में खड़ा हो जाएगा। इस बड़ी लॉन्चिंग से पहले चलिए आपको भी बता है मिशन चंद्रयान-3 की खासियत-
- चंद्रयान-3 का सफर कुल 40 दिन का होगा जिसके बाद ये अपनी कक्षा में पहुंचेगा और चांद पर चक्कर लगाने के बाद प्रगयान रोवर चांद के दक्षिण हिस्से में लैंड होगा।
- धरती से चांद की कुल दूरी 3.84 लाख km की है रॉकेट का सफर कुल 36 हजार किमी का होगा। रॉकेट प्रगयान रोवर को पृथ्वी के बाहरी ऑर्बिट तक लेकर जाएगा।
चांद पर खतरनाक लैंडिंग के कारण
- चांद पर वायुमंडल का न होना काफी खतरनाक साबित होता है, क्योंकि ऐसे में लैंडर के टूटने की संभावना बढ़ जाती है, और सॉफ्ट लैंडिंग नही हो पाती।
- इसके अलावा लोकेशन बताने वाला GPS न होना भी एक समस्या है, जिससे लैंडर को सही जगह तक पहुंचाना एक बड़ा चैलेंज होता है।
- चांद के दक्षिण हिस्सा पर साफ नहीं दिखना भी साइंटिस्ट्स के लिए एक बड़ी चुनौती होता है।
- लैंडर को सूर्य के विकिरण (Radiation) के असर से कोई सुरक्षा नहीं मिलती है। इसीलिए ये भी मिशन के लिए काफी खतरनाक होता है।
मिशन मून से क्या मिलेगा?
इस मून मिशन से चंद्रमा, पृथ्वी और ब्रह्मांड की बेहतर समझ हमे मिलेगी। भारत बिना विदेशी मदद के अपनी क्षमता दिखा सकता है। इसके अलावा अरबों डॉलर के स्पेस मार्केट में मजबूत मौजूदगी और दुनिया के गिने-चुने देशों के क्लब में एंट्री मिलेगी।
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