India News (इंडिया न्यूज़), Chandrayan 3: भारत का चंद्रयान -3 के लैंडर मॉड्यूल की गति धीमी करने की पहली प्रक्रिया सफल रही और अब वह चांद से महज 25 किमी की दूरी पर है। वहीं, रूसी मिशन लूना- 25 आज यानी 20 अगस्त को फेल हो गया। इसके दो दिन बाद 23 अगस्त को भारतीय मिशन भी दक्षिणी ध्रुव पर ही चांद की सतह पर उतरने जा रहा है।
चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही अगला चरण है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और परीक्षण करेगा। इसमें एक प्रणोदन मॉड्यूल, एक लैंडर और एक रोवर है। चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग पर है। मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं। जिन वजहों से चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह नहीं उतर पाया था, उन पर फोकस किया गया है।
श्रीहरिकोटा केन्द्र से उड़ान भरी और सब कुछ योजना के अनुसार होता है तो यह 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर उतरेगा। मिशन को चंद्रमा के उस हिस्से तक भेजा जा रहा है, जिसे डार्क साइड ऑफ मून कहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि यह हिस्सा पृथ्वी के सामने नहीं आता।
चंद्रयान-3 का कुल भार 3,900 किलो ग्राम है। इसमें प्रोपल्शन मॉड्यूल का वजन 2,148 किलो ग्राम है। वहीं लैंडर मॉड्यूल का वजन 1,752 किलो ग्राम है। चूंकि रोवर, लैंडर के भीतर ही होता है, इसलिए इसमें रोवर का वजन भी शामिल है। अलग से बात करें तो रोवर का वजन 26 किलोग्राम है।
चांद पर एक दिन पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। यही वजह है कि चंद्रयान 3 मिशन 14 दिनों तक चांद की सतह पर रिसर्च करेगा। 23 अगस्त को चांद की सतह पर लैंडिंग के साथ ही लैंडर विक्रम प्रज्ञान रोवर के साथ अपना काम शुरू कर देगा।
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