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Chhath Puja 2022 Day 2: जानें आज खरना पूजा के दिन किस चीज का है महत्व, कैसे करते हैं पूजा

BY: Priyanshi Singh • LAST UPDATED : October 29, 2022, 8:13 am IST
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Chhath Puja 2022 Day 2: जानें आज खरना पूजा के दिन किस चीज का है महत्व, कैसे करते हैं पूजा

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Chhath Puja 2022 Day 2: बिहार के महापर्व छठ का आगाज हो चुका है। छठ के महापर्व की शुरुआत 28 अक्टूबर से हो गई है। छठ का पहला दिन नहाय खाय होता है। जबकी दूसरे दिन को खरना कहते हैं। आज खरना का दिन है। ऐसे में घर से दूर रहने वाले लोग भी अपने घरों के तरफ रूख कर चुके हैं। कुछ लोग पहुच गए हैं तो कुछ बस पहुचने का इंतजार कर रहे हैं। बिहार के लिए छठ सिर्फ एक पर्व ही नहीं हैं बल्कि वहां के लोग इस त्योहार को महशूश भी करते हैं। मानना है कि छठ पूजा उनके इमोशन से जुड़ा है। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि आज छठ बिहार से निकल कर ना सिर्फ देश में बल्कि विदेशों में भी फैल चुका है।

खरना के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाने की है परंपरा

बता दें छठ के व्रत को सबसे कठिन व्रत माना जाता है। मान्यता है कि जो महिलाएं छठ के नियमों का पालन करती हैं, छठी माता उनकी हर मनोकामना पूरी करती हैं। छठ पूजा में सूर्य देव का पूजन किया जाता है। यह पर्व चार दिनों तक चलता है। छठ पर्व का दूसरा दिन खरना कहलाता है। खरना का अर्थ होता है शुद्धिकरण। खरना के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाने की परंपरा है।

खरना के दिन क्या करती हैं महिलाएं

खरना के दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं। इस दिन छठी माता का प्रसाद तैयार किया जाता है। इस दिन गुड़ की खीर बनती है। खास बात यह है कि वह खीर मिट्टी के चूल्हे पर तैयार की जाती है। प्रसाद तैयार होने के बाद सबसे पहले व्रती महिलाएं इसे ग्रहण करती हैं, उसके बाद इसे बांटा जाता है। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा की जाती है। इसके अगले दिन सूर्यास्त के समय व्रती लोग नदी और घाटों पर पहुंच जाते हैं। जहां डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इस दौरान सूर्यदेव को जल और दूध से अर्घ्य देते है। साथ ही इस दिन व्रती महिलाएं छठी मैया के गीत भी गाती हैं।

खरना पूजा विधि
1. छठ पूजा के दूसरे दिन प्रात: स्नान के बाद व्रती व्रत और पूजा का संकल्प करता है।

2. फिर इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. दिन में छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है।

3. रात के समय में चावल और गुड़ से खीर बनाते हैं, जिसे रसियाव कहा जाता है. इसके अलावा पूड़ी भी बनाई जाती है।

4. प्रसाद बन जाने के बाद व्रती पूजा करते हैं और वे सूर्य भगवान को रसियाव, पूड़ी और मिठाई का भोग लगाते हैं।

महापर्व छठ की शुरुआत की कहानी

मान्यता के अनुसार महापर्व छठ की शुरुआत महाभारत काल में हुई थी। इस पूजा की शुरुआत सूर्य पुत्र कर्ण के द्वारा हुई थी। कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की। कथाओं के अनुसार कर्ण भगवान सूर्य के परम भक्त थे। वह हर दिन घंटों तक कमर जितने पानी में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य दिया करते थे। उनके महान योद्धा बनने के पीछे सूर्य की कृपा थी। आज के समय में भी छठ में अर्घ्य देने की यही पद्धति प्रचलित है।

पौराणिक लोक कथा

एक पौराणिक लोक कथा के अनुसार जब भगवान श्रीराम लंका पर विजय प्राप्त कर लौटे तो राम राज्य की स्थापना की जा रही थी। कार्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन ही राम राज्य की स्थापना हो रही थी, उस दिन भगवान राम और माता सीता ने उपवास किया और सूर्य देव की आराधना की थी। सप्तमी को सूर्योदय के समय पुनः अनुष्ठान कर उन्होंने सूर्यदेव से आशीर्वाद प्राप्त किया था। ऐसा माना जाता है, कि तब से लेकर आज तक यही परंपरा चली आ रही है।

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