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India News (इंडिया न्यूज), Chhattisgarh News: अक्सर कहा जाता है योग करो, मेडिटेशन करो ताकि दिमाग शांत रहेगा। अच्छे से काम करे… इसी योग और मेडिटेशन से बालोद जिले के ग्राम खपरी के रहने वाले 12 साल के छात्र धर्मसौरभ साहू ने योग और मेडिटेशन से अपने मस्तिष्क के पिनियल ग्लैंड को जागृत किया और बड़ी आसानी से अब आंखों में पट्टी बांध के किसी भी चीज और कलर को छूकर उसकी पहचान कर सकता है।
इतना ही नहीं आंखों में पट्टी बांधकर वो कोई भी किताब पढ़ सकता है। हाथों के साथ-साथ वह पैरों से छूकर भी उस चीज के बारे में बड़ी आसानी से बता सकता है। हमारे देश में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं, लेकिन छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में एक ऐसा प्रतिभावान छात्र महज 12 साल का है। लेकिन इनके अंदर ऐसी प्रतिभा जिसे देख आप भी दांतो तले उंगली दबाने को मजबूर हो जाएंगे।
बालोद जिले के खपरी गांव का महज 12 साल का एक बच्चा धर्मसौरभ साहू जो अपने आंखों में पट्टी बांधकर किसी भी चीज का पहचान कर सकता है। बिना देखे बुक रीडिंग के साथ किसी भी कलर को हाथों से स्पर्श कर बता देता है। यहीं, नहीं अपने पैरों से छूकर किसी भी चीज को बिना देखे उसकी पूरी जानकारी बता सकता है, जिसे सुनने में थोड़ा अजीब लग सकता है।
आपको बता दें कि बालोद जिले के ग्राम खपरी का ये छात्र जो सामान्य परिवार से आता है। पिता बालोद जिला सत्र न्यायालय में एक अधिवक्ता है। धर्मसौरभ साहू बालोद के आत्मानंद स्कूल में कक्षा 7वीं में पड़ता है। छात्र ने बताया कि महज कुछ समय में उसने ये सब सीख लिया। जहां 2022 में उसने योगा और मेडिटेशन की क्लास की। मस्तिष्क में पिनियल ग्लैंड होता है जो इन्द्रियों से संबंधित विभिन्न कार्यों को करता है, जिसके बाद छात्र ने रोजाना घर में अभ्यास जारी रखा। अब वो आंखों में पट्टी बांधकर हर चीज को बता सकता है। पुस्तक पढ़ सकता है।
छात्र के पिता ने बताया कि गांव में पीनियल ग्लैंड को एक्टिव करने का एक छोटा सा प्रशिक्षण योग मेडिटेशन लगा था, जिसमें कुछ अन्य बच्चों ने भी हिस्सा लिया था, लेकिन इस प्रशिक्षण के बाद भी घर में रोजाना अभ्यास करता था। इस सफलता के पीछे बड़ा कारण जो बताया गया।
इस प्रशिक्षण के बाद बच्चों को मोबाइल से थोड़ी दूरी बनाकर रखना होता है और मोबाइल में ज्यादा सक्रिय रहने वाले बच्चों का पीनियल ग्लैंड जल्दी सक्रिय नहीं होता, जिसके कारण ऐसे कलाओं को हर व्यक्ति आसानी से नहीं सीख सकता। निश्चित ही छोटी सी उम्र में योग और मेडिटेशन की उपयोगिता को समझ कर ऐसे प्रतिभा को पाना आसान नहीं होता है, जो धर्मसौरभ साहू ने कर दिखाया।
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