ADVERTISEMENT
होम / Top News / संसद नहीं संविधान होता है ‘सुप्रीम’, उपराष्ट्रपति धनखड़ के बयान पर बिफरे चिदंबरम

संसद नहीं संविधान होता है ‘सुप्रीम’, उपराष्ट्रपति धनखड़ के बयान पर बिफरे चिदंबरम

BY: Ashish kumar Rai • LAST UPDATED : January 12, 2023, 5:29 pm IST
ADVERTISEMENT
संसद नहीं संविधान होता है ‘सुप्रीम’, उपराष्ट्रपति धनखड़ के बयान पर बिफरे चिदंबरम

इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की ओर से केशवानंद भारती मामले में ऐतिहासिक फैसले पर सवाल उठाए जाने के बाद विपक्षी दलों की ओर से इसकी कड़ी आलोचना की जा रही है। आलोचन की एक और कड़ी में कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि राज्यसभा के सभापति का केशवानंद भारती मामले से जुड़े फैसले को गलत कहना न्यायपालिका पर अभूतपूर्व हमला है। साथ ही यह भी कहा कि राज्यसभा के सभापति का यह कहना गलत है कि संसद ही सुप्रीम है, बल्कि संविधान ही सुप्रीम होता है।

आपको बता दें, धनखड़ के बयान के बाद ट्विटर के जरिए जवाब देते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने कहा कि धनखड़ का यह दावा गलत है कि संसद सुप्रीम होता है। जबकि वास्तव में संविधान सुप्रीम होता है। संविधान के मूलभूत सिद्धांतों पर बहुसंख्यकवादी की ओर से हमले को रोकने के लिए ही ‘मूल संरचना’ के सिद्धांत को विकसित किया गया था।”

चिदंबरम ने पूछा- ‘ऐसे संशोधन मान्य हो जाएंगे’?

जानकारी दें, मूल संरचना सिद्धांत पर जोर देते हुए चिदंबरम ने कहा, “मान लीजिए कि संसद ने बहुमत से संसदीय प्रणाली को खत्म करते हुए राष्ट्रपति प्रणाली में बदलने के लिए वोट कर किया या अनुसूची VII से राज्य सूची को निरस्त कर दिया और राज्यों की अनन्य विधायी शक्तियों को खत्म कर दिया। क्या ऐसे में ये संशोधन मान्य होंगे?

पार्टी के वरिष्ठ नेता चिदंबरम ने यह दावा भी किया कि धनखड़ की टिप्पणी के बाद संविधान से प्रेम करने वाले हर नागरिक को आगे के खतरों को लेकर सजग हो जाना चाहिए। उन्होंने आगे कहा, “असल में सभापति के विचार सुनने के बाद हर संविधान प्रेमी नागरिक को आगे के खतरों को लेकर सजग हो जाना चाहिए। ”

उपराष्ट्रपति का SC पर तंज, क्या हम लोकतांत्रिक देश हैं?

आपको बता दें, एक दिन पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने केशवानंद भारती मामले में उस ऐतिहासिक फैसले पर सवाल उठाया जिसने देश में संविधान के मूलभूत ढांचे का सिद्धांत दिया था। धनखड़ ने इस ऐतिहासिक फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि न्यायपालिका, संसद की संप्रभुता से समझौता नहीं कर सकती। उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा, “यदि संसद के बनाए कानून को किसी भी आधार पर कोई भी संस्था अमान्य करती है तो प्रजातंत्र के लिए ठीक नहीं होगा। बल्कि यह कहना मुश्किल होगा क्या हम लोकतांत्रिक देश हैं।”

साथ ही उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2015 में राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम को निरस्त किए जाने पर कहा कि ‘दुनिया में ऐसा कहीं नहीं हुआ है।’ उन्होंने कहा कि लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए संसदीय संप्रभुता और स्वायत्तता सर्वोपरि है और कार्यपालिका या न्यायपालिका को इससे समझौता करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।

उपराष्ट्रपति धनखड़ राजस्थान विधानसभा में अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित कर रहे थे। संवैधानिक संस्थाओं के अपनी सीमाओं में रहकर काम करने की बात करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “संविधान में संशोधन का संसद का अधिकार क्या किसी और संस्था पर निर्भर कर सकता है। क्या संविधान में कोई नयी संस्था है जो कहेगी कि संसद ने जो कानून बनाया उस पर हमारी मुहर लगेगी तभी कानून होगा।”

Tags:

Congressconstitutionjagdeep dhankharsupreme court

Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.

ADVERTISEMENT

लेटेस्ट खबरें

ADVERTISEMENT