संबंधित खबरें
Himachal BPL Rules: सरकार ने बदली 'गरीबी' की परिभाषा, जानें अब कौन कहलाएगा गरीब? BPL के नए नियम जारी
नए साल पर घूमने जानें से पहले पढ़े UP-NCR की ट्रैफिक एडवाइजरी, ये हैं रूटों का प्लान
Maha Kumbh 2025: कुंभ की तैयारियों को देख अखिलेश ने बांधे तारीफों के पुल, बोले- कमियों की तरफ खींचते रहेंगे ध्यान
kota Night Shelters: खुले आसमान के नीचे सोने को मजबूर लोग, अब तक नहीं किया गया रैन बसेरे का इंतजाम
Kotputli Borewell Rescue: 65 घंटे से बोरवेल में फंसी मासूम चेतना, रेस्क्यू ऑपरेशन लगातार जारी, मां की बिगड़ी तबीयत
Ajmer Bulldozer Action: दरगाह के पास चला निगम का पीला पंजा, अवैध अतिक्रमण साफ, कार्रवाई से क्षेत्र में मचा हड़कंप
इंडिया न्यूज़ (दिल्ली) : इंडियन नेशनल कांग्रेस आज अपना 138वां स्थापना दिवस मना रही है। देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस की 28 दिसंबर 1885 को एओ ह्यूम ने नींव रखी थी और व्योमेश चंद्र बनर्जी कांग्रेस पार्टी के पहले अध्यक्ष बने थे। आजादी के बाद साल 1952 में कांग्रेस पहली बार चुनावी राजनीति में उतरी। पंडित जवाहरलाल नेहरू की अगुवाई में साल 1952 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 401 में से 364 सीटें जीतकर इतिहास रच दिया। कांग्रेस को पहले लोकसभा चुनाव में 45% वोट मिले थे और इस तरीके से नेहरू युग की शुरुआत हुई।
1957 के लोकसभा चुनाव में पार्टी का प्रदर्शन और बेहतर हुआ। 403 सीटों में से 371 सीटें जीती और वोट शेयर में भी 2.8% की बढ़ोतरी हुई, जो 47.8 फ़ीसदी तक पहुंच गया। यानी कुल वोट का करीब आधा। साल 1962 और 1967 के आम चुनाव में लोकसभा सीटों की संख्या भी बढ़ी, लेकिन कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले चुनावों के मुकाबले खराब हुआ।
1962 के आम चुनाव में कांग्रेस ने 494 में से 361 सीटें जीती और वोट शेयर घटकर 44.7% रह गया। यानी 1957 के चुनाव के मुकाबले वोट शेयर में 3% से ज्यादा गिरावट आई थी। 1967 में हुए चुनाव में पार्टी 520 सीटों में से महज 283 सीटें जीत पाई और वोट शेयर 40.8% रह गया। इसी तरह 1971 के लोकसभा चुनाव में 518 सीटों में से कांग्रेस को 362 सीटों पर जीत मिली और वोट शेयर 43.7% रहा।
साल 1977 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए बहुत बुरा साबित हुआ। इमरजेंसी के ठीक बाद हुए चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। 543 सीटों में से कांग्रेस महज 154 सीटों पर सिमट गई और पार्टी का वोट शेयर गिरकर 34.5% तक रह गया। लेकिन 3 साल बाद यानी 1980 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने फिर वापसी की और 543 में से 353 सीटें जीती और अपना वोट शेयर 42.7% तक पहुंचा दिया।
1984 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस की आंधी जैसा था। इंदिरा गांधी की हत्या के ठीक बाद हुए चुनाव में पार्टी ने 543 में से 415 सीटें जीती और वोट शेयर 48.1% तक पहुंच गया, लेकिन इसके बाद पार्टी का बुरा दौर शुरू हुआ। कांग्रेस सत्ता में तो आई, लेकिन अपना वोट शेयर बरकरार नहीं रख पाई। बीजेपी और दूसरी क्षेत्रीय पार्टियों के उदय के बाद कांग्रेस का वोट शेयर लगातार गिरता गया। 1989 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 197 सीटें जीती और वोट शेयर 39.5% रहा। 1991 में 244 सीटें जीती और वोट शेयर 36.4% रहा।
साल 1998 में सोनिया गांधी ने कांग्रेस की कमान संभाली और अध्यक्ष की कुर्सी पर बैठीं। इसी साल हुए आम चुनाव में कांग्रेस को 141 सीटें मिलीं, लेकिन वोट शेयर गिरकर 25.8% तक पहुंच गया। फिर 1999 के चुनाव में 114 सीटें मिलीं और वोट शेयर 28.3% रहा। 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 145 सीटें मिली और वोट शेयर 26.5% था। इसी तरह 2009 के चुनाव में सीटों की संख्या बढ़ी और 206 सीटों पर जीत मिली। वोट शेयर 28.6% रहा।
2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के लिए बहुत बुरा साबित हुआ। इस दौरान राहुल गांधी भी कुछ वक्त के लिए कांग्रेस के अध्यक्ष बने। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की आंधी में कांग्रेस महज 44 सीटें ही जीत पाई और वोट शेयर गिरकर 19.5% पर आ गया। 2009 के मुकाबले 2014 में वोट शेयर में 9 प्रतिशत से ज्यादा गिरावट थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भी यही सिलसिला बरकरार रहा। पार्टी ने 52 सीटों पर जीत दर्ज की, लेकिन वोट शेयर 19.5% ही रहा।
Get Current Updates on, India News, India News sports, India News Health along with India News Entertainment, and Headlines from India and around the world.