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India News (इंडिया न्यूज़), Delhi Excise Policy: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिल्ली सरकार के आबकारी नीति से जुड़े भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामले में जेल में बंद पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया। इस घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई ने इसी साल 26 फरवरी को सिसोदिया को गिरफ्तार किया था, जबकि धन शोधन के मामले में प्रवर्तन निदेशालय ने नौ मार्च को गिरफ्तार किया और तब से वह जेल में हैं।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इससे पहले, आप नेता मनीष सिसोदिया की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने पीठ ने कहा कि सीबीआई के अपराध में उनके मुवक्किल के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत रिश्वतखोरी कोई आरोप नहीं है।
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उन्होंने कहा कि यदि कोई द्वेषपूर्ण अपराध नहीं है, तो ईडी वहां नहीं हो सकती। सिंघवी ने कहा कि शराब नीति में बदले के बदले 220 करोड़ रुपये के रिश्वत का आरोप, द्वेषपूर्ण अपराध का हिस्सा नहीं है। इस मामले में, सीबीआई और ईडी ने सिसोदिया की जमानत याचिका का विरोध किया। विशेष अदालत और उच्च न्यायालय द्वारा जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की जमानत की मांग की है।
उच्चतम न्यायालय ने ईडी से कहा कि अगर दिल्ली आबकारी नीति में बदलाव के लिए कथित तौर पर दी गई रिश्वत अपराध से आय का हिस्सा नहीं है, तो संघीय एजेंसी के लिए पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ धनशोधन का आरोप साबित करना कठिन होगा।
दरअसल, पीठ ने ईडी से कहा कि वह इस धारणा के साथ आगे नहीं बढ़ सकती कि रिश्वत दी गई एवं आरोपी को कानून के तहत जो भी सुरक्षा मिलती है, दी जानी चाहिए। पीठ ने यह टिप्पणी तब की जब सिसोदिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिंघवी ने कहा कि आप नेता के खिलाफ धनशोधन निवारण कानून (पीएमएलए) मामले के तहत रिश्वत के अपराध से आय का हिस्सा होने का कोई आरोप नहीं है।
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